शनिवार का दिन हिंदू धर्म में विशेष रूप से शनि देव की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस दिन तेल चढ़ाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनिदेव को तेल चढ़ाने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और शनि दोष से राहत मिलती है। आइए जानते हैं शनिवार को तेल चढ़ाने के पीछे के धार्मिक, ज्योतिषीय और वैज्ञानिक कारण।
धार्मिक मान्यता
- शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए तेल अर्पण करना शुभ माना जाता है।
- शनिदेव को कष्टों का निवारण करने वाला देवता माना जाता है, और तेल चढ़ाने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।
- पौराणिक कथा के अनुसार, शनिदेव को तेल अर्पित करने से उनके क्रोध को शांत किया जा सकता है।
ज्योतिषीय कारण
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि ग्रह को शांत करने के लिए तेल चढ़ाना लाभदायक होता है।
- शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से बचने के लिए तेल चढ़ाने की परंपरा है।
- तेल अर्पण करने से कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव कम होते हैं और सफलता के मार्ग प्रशस्त होते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
- शनिदेव को तेल चढ़ाने की परंपरा का एक वैज्ञानिक पहलू भी है।
- तेल का संबंध ऊर्जा संतुलन से जुड़ा होता है, और इसे चढ़ाने से मानसिक शांति मिलती है।
- शनिवार को तेल मालिश करने से शरीर में वात दोष कम होता है, जिससे स्वास्थ्य लाभ होता है।
कौन-सा तेल चढ़ाना चाहिए?
- शनिदेव को सरसों, तिल या काले तिल का तेल चढ़ाना सबसे उत्तम माना जाता है।
- सरसों का तेल शनि को शांत करने में मदद करता है, जबकि तिल का तेल विशेष रूप से उपयोगी होता है।
शनिवार को तेल चढ़ाने का सही तरीका
- प्रातः स्नान के बाद शनि मंदिर जाएं।
- शनिदेव की प्रतिमा पर तेल अर्पण करें।
- “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जाप करें।
- तेल चढ़ाने के बाद किसी जरूरतमंद को तेल दान करें।
निष्कर्ष
शनिवार को तेल चढ़ाने की परंपरा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि ज्योतिषीय और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह न केवल शनिदेव की कृपा प्राप्त करने का उपाय है, बल्कि स्वास्थ्य और मानसिक शांति के लिए भी लाभदायक है।