न्यूयॉर्क:संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतनेंनी हरीश ने गुरुवार (स्थानीय समयानुसार) को इस्लामोफोबिया से मुकाबले के अंतरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर आयोजित बैठक में भारत का बयान प्रस्तुत किया। अपने संबोधन में उन्होंने जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान के अनुचित दावे को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि बार-बार इस मुद्दे को उठाने से पाकिस्तान का दावा वैध नहीं हो जाएगा।
उन्होंने कहा, “जैसा कि उनकी आदत रही है, पाकिस्तान के पूर्व विदेश सचिव ने आज फिर से भारतीय संघ क्षेत्र जम्मू-कश्मीर का अनुचित संदर्भ दिया। इस मुद्दे को बार-बार उठाने से न तो उनका दावा सही साबित होगा और न ही उनकी सीमा पार आतंकवाद की नीति को उचित ठहराया जा सकता है।”
हरीश ने आगे कहा कि पाकिस्तान की कट्टरपंथी मानसिकता जगजाहिर है, लेकिन इससे वास्तविकता नहीं बदलेगी और जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा।
“इस राष्ट्र की कट्टर मानसिकता और उसकी संकीर्ण सोच किसी से छिपी नहीं है। ऐसे प्रयासों से सच्चाई नहीं बदलेगी कि जम्मू-कश्मीर पहले भी भारत का अभिन्न हिस्सा था, आज भी है और हमेशा रहेगा,” उन्होंने कहा।
भारत विविधता और बहुलवाद की भूमि
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के अनुसार, हरीश ने अपने संबोधन में भारत की विविधता और बहुलवाद पर जोर देते हुए कहा कि भारत में 200 मिलियन से अधिक मुसलमान निवास करते हैं, जो इसे दुनिया में मुस्लिम जनसंख्या वाले सबसे बड़े देशों में से एक बनाता है।
उन्होंने कहा, “भारत विविधता और बहुलवाद की भूमि है। भारत में 200 मिलियन से अधिक मुसलमान रहते हैं, जो इसे विश्व में मुस्लिम जनसंख्या के सबसे बड़े समुदायों में से एक बनाता है। भारत संयुक्त राष्ट्र के अन्य सदस्य देशों के साथ मिलकर मुस्लिमों के खिलाफ धार्मिक असहिष्णुता की घटनाओं की निंदा करता है।”
सभी धर्मों के अनुयायियों के लिए धार्मिक भेदभाव एक चुनौती
हरीश ने आगे कहा कि धार्मिक भेदभाव केवल किसी एक धर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सभी धर्मों के अनुयायियों को प्रभावित करने वाली व्यापक चुनौती है।
“यह महत्वपूर्ण है कि हम यह स्वीकार करें कि धार्मिक भेदभाव एक व्यापक समस्या है, जो विभिन्न धर्मों के अनुयायियों को प्रभावित करती है। सच्ची प्रगति का मार्ग यही है कि हम यह समझें कि विभिन्न रूपों में मौजूद ‘धर्म-फोबिया’ हमारी विविधतापूर्ण वैश्विक समाज की संरचना को कमजोर करता है,” उन्होंने कहा।
हरीश ने अपने बयान में यह भी कहा कि धार्मिक मुद्दों पर चर्चा लोगों को जोड़ने का कार्य करे, न कि उन्हें विभाजित करने का।
“हमें ऐसे भविष्य की दिशा में काम करना होगा, जहां हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, सम्मान, सुरक्षा और गरिमा के साथ जी सके। किसी भी धर्म से जुड़े मुद्दों पर चर्चा का उद्देश्य लोगों को एकजुट करना होना चाहिए, न कि उन्हें विभाजित करना,” उन्होंने अपने बयान में जोड़ा।