नई दिल्ली:रोहिंग्या शरणार्थी छात्र अब दिल्ली के स्कूलों में देशभक्ति का पाठ पढ़ेंगे। कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली के खजूरी खास की श्रीराम कॉलोनी के आस-पास स्थित सरकारी स्कूलों ने अभिभावकों से आवेदन करने के लिए संपर्क किया है। यहां रहने वाले 19 में से 11 बच्चों के आवेदन स्कूलों को प्राप्त हो गए हैं, जबकि 8 बच्चों के रजिस्ट्रेशन होना बाकी हैं।
स्कूल प्रबंधन का कहना है कि जो भी शिक्षा विभाग से सुविधा मिलती है, वह इन सभी बच्चों को दी जाएगी। हालांकि, अभी देखना यह है कि इन्हें किस क्लास में दाखिला देना है। इनमें अधिकतर बच्चे 6 से 14 साल के हैं। वहीं, दूसरी ओर कोर्ट के आदेश के बाद रोहिंग्या शरणार्थियों में खुशी की लहर है। शरणार्थी उमर फारूक कहते हैं कि वह 2016 में भारत आए थे। बेटा हुसैन अहमद स्कूल जाने से वंचित था। अहमद की उम्र बढ़ती जा रही है। अब वह 9 साल का है। ऐसे में स्कूल जाना बहुत जरूरी है। वह रुंधे गले से कहते हैं कि बच्चे पढ़ जाएंगे तो आने वाली पीढ़ी की जिंदगी भी संवर सकती है। म्यांमार में हालात ठीक नहीं थे तो जान बचाना जरूरी था। बच्चों को स्कूल जाते देखना किसी सुकून से कम नहीं है। उन्होंने न्यायपालिका का शुक्र अदा किया और कहा कि भारत की न्याय प्रणाली पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है।
वहीं, राशिद खान ने बताया कि उनके बेटे जुनैद के दाखिले के लिए भी स्कूल से कॉल आई है। हालांकि, वह कहते हैं कि उन्हें नहीं पता कि उनके बेटा को किस क्लास में जाएगा, लेकिन खुशी है कि अब वह स्कूल जाएगा। अगर वह म्यांमार में ही रहते तो कभी स्कूल जाने का सपना पूरा नहीं होता। इसी तरह आसिया के पिता अजीम ने कहा कि उम्मीद है कि जल्द ही दाखिला हो जाएगा। वह काफी खुश हैं कि उनकी बेटी स्कूल पढ़ने जाएगी।
शिक्षा सबका अधिकार : शरणार्थियों की शिक्षा की लड़ाई लड़ने वाले वकील अशोक अग्रवाल कहते हैं कि शिक्षा सबका अधिकार है। यह अधिकार कानून देता है। मानवता और शिक्षा के अधिकार के तहत भी किसी को शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता है।
शिक्षा निदेशालय ने स्कूलों को दिया निर्देश
स्कूल दस्तावेज के नाम पर निराश्रित, शरणार्थी, बेघर, दिव्यांग बच्चों को दाखिला देने से मना नहीं करेंगे। बता दें कि सर्वोदय विद्यालयों में नर्सरी से पहली कक्षा तक आवेदन प्रक्रिया चल रही है। कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षा निदेशालय हरकत में आया और इस संबंध में स्कूलों को निर्देश दिए। निर्देश के अनुसार, स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्य बच्चों और अभिभावकों के दाखिला संबंधी दस्तावेज बनवाने में मदद करेंगे, ताकि अस्थायी दाखिले को निश्चित समय में नियमित किया जा सके। ऐसे में अब कोई भी शरणार्थी शिक्षा से वंचित नहीं रह सकता है।