डेस्क:जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड के शेयर पर आज निवेशकों की नजर रहेगी। क्योंकि, प्रमोटर्स की कंपनी में हिस्सेदारी लगातार घट रही है। कंपनी के शेयर की कीमत में 1 जनवरी से 68% की गिरावट के बाद, फाउंडर लोन के लिए और ज्यादा गिरवी (कॉलैटरल) नहीं रख पाए। इस वजह से तीन लेनदारों ने प्रमोटर्स द्वारा गिरवी रखे गए 6.96% शेयरों पर कब्जा कर लिया है। बता दें सोमवार को जेनसोल के शेयर BSE पर ₹248.65 पर बंद हुए, जो लगभग 32 महीनों में सबसे कम है। 18 जुलाई 2022 को शेयर ₹238.8 पर बंद हुए थे।
17 मार्च के एक्सचेंज डेटा के मुताबिक, पिछले हफ्ते वर्च्यू फाइनेंशियल सर्विसेज और SICPA इंडिया ने क्रमशः 4.3% और 1.19% शेयरों पर कब्जा किया। इससे पहले इसी महीने बड़जाते स्टॉक ब्रोकिंग ने प्रमोटर्स के 1.47% शेयरों पर कब्जा किया था। यह सब तब हुआ जब दो रेटिंग एजेंसियों ने अहमदाबाद स्थित कंपनी की मुश्किलों को उजागर किया।
इस महीने की शुरुआत से, अनमोल जग्गी और उनके छोटे भाई पुनीत जग्गी अपनी कंपनी पर नियंत्रण बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने 2012 में सोलर इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन (EPC) और इलेक्ट्रिक व्हीकल लीजिंग कंपनी की स्थापना की थी।
दोनों भाइयों ने दिल्ली की एक नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NBFC) शाइन स्टार बिल्ड कैप से 0.4% शेयर वापस हासिल करने में कामयाबी पाई। हालांकि, पिछले साल 20 फरवरी को शेयर की कीमत ₹1,377.1 के शिखर से 82% गिरने के बाद, संस्थापकों को लेनदारों को और पैसे देने पड़े क्योंकि शेयर की कीमत उस रकम से कम हो गई जिस पर वे गिरवी रखे गए थे। मिंट के एक रिसर्च के मुताबिक, इस वजह से जग्गी भाइयों को 1 जनवरी से 8 मार्च के बीच 6.23% अतिरिक्त शेयर गिरवी रखने पड़े।
लेनदारों की इस कार्रवाई का सीधा असर जेनसोल की हिस्सेदारी पर पड़ा है। जेनसोल के प्रमोटर्स ने 7 मार्च को 2.37% हिस्सेदारी बेच दी और 6.96% शेयरों पर नियंत्रण खो दिया। इसका मतलब है कि 3 मार्च से लेकर 9 ट्रेडिंग दिनों में संस्थापकों ने अपनी 9.37% हिस्सेदारी खो दी है।
3 मार्च को ही केयर रेटिंग्स ने जेनसोल के ₹716 करोड़ के बैंक लोन को डिफॉल्ट घोषित कर दिया था, क्योंकि कंपनी ने “टर्म लोन ऑब्लिगेशन” को चुकाने में देरी की थी। वहीं, जेनसोल ने किसी भी गलत काम करने से इनकार किया है और निवेशकों को आश्वासन दिया है कि वह जल्द ही अपने ₹1,146 करोड़ के कर्ज को चुकाने की योजना बना रही है।
कंपनी प्रमोटर्स से शेयरों की प्रेफरेंशियल एलॉटमेंट और ब्लू-स्मार्ट को लीज पर दी गई अपनी कुछ इलेक्ट्रिक कारों को बेचकर और पैसा लाने की योजना बना रही है।
बेंगलुरु स्थित प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्म इनगवर्न रिसर्च सर्विसेज के संस्थापक श्रीराम सुब्रमण्यम ने बताया, “शेयर गिरवी रखने का नियम सरल है: जब शेयर की कीमत गिरती है तो लोन-टू-वैल्यू (LTV) अनुपात बढ़ जाता है। इसलिए, शेयर की कीमत गिरने पर अतिरिक्त शेयर गिरवी रखने पड़ते हैं।”LTV का मतलब है कि जो रकम उधार ली गई है, वह गिरवी रखी गई चीज (जैसे शेयर) की कीमत के मुकाबले कितनी है, जिसे प्रतिशत में दिखाया जाता है।