रांची:प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने करोड़ों रुपये की मनी लाउंड्रिंग के केस में झारखंड के बिल्डर ज्ञान प्रकाश सरावगी को गिरफ्तार किया है। ज्ञान प्रकाश सरावगी की गिरफ्तारी ईडी ने रांची के कांके रोड स्थित स्काइविला अपार्टमेंट से की।
ईडी के अधिकारियों के मुताबिक, सीबीआई ने सबसे पहले ज्ञान प्रकाश सरावगी व उनके सहयोगियों के खिलाफ साल 2018- 19 में बैंक आफ इंडिया से 31.24 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का केस किया था। बाद में मनी लाउंड्रिंग के पहलुओं पर जांच के क्रम में ईडी ने पाया था कि अलग अलग बैंक को आरोपियों ने 75 करोड़ का चूना लगाया था।
ईडी के अधिकारियों के मुताबिक, ज्ञान प्रकाश सरावगी और अमित सरावगी ने कई शेल कंपनियां बनायी थी। लोन से मिले पैसों को इन्हीं खातों में ट्रांसफर किया गया था। पैसे ट्रांसफर किए जाने के बाद इन पैसों से अचल संपत्ति की खरीद भी कई जगहों पर की गई थी।
ईडी अधिकारियों के मुताबिक, ज्ञान प्रकाश सरावगी जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे। ईडी के द्वारा मांगे गए कागजात व सूचनाएं उनके द्वारा नहीं दी जा रही थी। ऐसे में ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। ईडी ने बताया है कि ज्ञान प्रकाश सरावगी के द्वारा ही कैपिटल मार्केटिंग, सिलेस्टियल सेल्स एंड मार्केटिंग, प्रकाश ट्रेडर्स, राधाकृष्ण विनिमय, श्रीराम कामट्रेड, श्री बद्रीकेदार की पूरी कंट्रोलिंग की जाती थी। गिरफ्तार के बाद ज्ञान प्रकाश सरावगी को ईडी ने सुरक्षार्थ कोतवाली थाने को सौंप दिया। बुधवार को ईडी उन्हें पीएलएलए कोर्ट में पेश करेगी।
ईडी ने जांच में पाया कि ज्ञान प्रकाश सरावगी व उनके सहयोगियों ने छह कंपनियों मेसर्स सनबीन डीलर्स प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स ग्लोबल ट्रेडर्स, मेसर्स बद्रीकेदार उद्योग प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स सरावगी बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स, मेसर्स श्रीराम कॉमट्रेड प्राइवेट लिमिटेड, और मेसर्स द्वारिकाधीश उद्योग प्राइवेट लिमिटेड बनायी थीं। इनके जरिये जालसाजी हुई।
इन कंपनियों के नाम पर बैंक आफ इंडिया, यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया से 75 करोड़ से अधिक की जालसाजी की गई। इन कंपनियों के नाम पर लोन निकाले गए। जांच में यह पाया गया कि लोन निकासी के लिए अचल संपत्ति से जुड़े जो कागजात दिए गए थे, उन पर पूर्व से ही लोन की निकासी की जा चुकी थी। जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि इन कंपनियों के गांरंटर, निदेशक ज्ञान प्रकाश सरावगी के नजदीकी रिश्तेदार या कर्मचारी ही थे।