कोलकाता:पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी के वकील ने आज जमानत की गुहार लगाते हुए कहा, “वह अब राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं।” समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, उन्होंने कोलकाता में अदालत से कहा, “यदि आवश्यक हो तो वह विधायक पद छोड़ सकते हैं।” बेहाला दक्षिण से तृणमूल कांग्रेस के विधायक चटर्जी को पिछले सप्ताह मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया था और पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। अदालत ने हालांकि जमानत के लिए दलीलें नहीं सुनीं और अर्पिता मुखर्जी समेत पार्थ को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी को आज कोलकाता की अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा। पार्थ चटर्जी ने इस दौरान अदालत में कहा कि उन्हें जमानत मिलनी चाहिए। कहा कि वो अब राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं। यदि आवश्यक हो तो वह विधायक पद छोड़ सकते हैं। उधर, अर्पिता ने जमानत नहीं मांगी बल्कि जेल में विशेष सुरक्षा की मांग की। जिसे विशेष अदालत ने मंजूरी दे दी। ईडी ने मांगों पर सहमति जताई। कहा कि जेल में उनकी जान को खतरा है। इसलिए उन्हें जेल में भोजन और पानी देने से पहले परीक्षण किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी को 23 जुलाई को शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की भर्ती में भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। मामला 2016 का है, उस वक्त पार्थ ममता बनर्जी की सरकार में शिक्षा मंत्री थे। एजेंसी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग एंगल की जांच कर रही है जिसकी जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) कर रही है।
बता दें कि अर्पिता मुखर्जी के फ्लैटों से नकदी के ढेर जब्त होने के बाद पार्टी ने चटर्जी के खिलाफ कार्रवाई की और उनके साथ किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया। उनका कहना है कि मामला साजिश का है। दोनों ने नकदी और अन्य जब्ती के साथ किसी भी संबंध से इनकार किया है।
पार्थ ने कहा, “ईडी ने मामले में, 22 जुलाई को, जब उनके घर पर छापा मारा गया था, कुछ भी बरामद नहीं हुआ। यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति से पूछने की कोशिश करते हैं जो अपराध में शामिल नहीं है, तो वह स्पष्ट रूप से असहयोगी होगा। एजेंसी ने आरोप लगाया है कि वह टालमटोल कर रहा है।
ईडी ने दावा किया है कि उन्हें कई संपत्तियां मिली हैं जिन्हें चटर्जी की आय से नहीं समझाया जा सकता है। जांचकर्ताओं ने कोलकाता में मुखर्जी के फ्लैटों से सोने के अलावा लगभग ₹ 50 करोड़ नकद जब्त किए हैं। ईडी के अनुसार यह पैसा “अपराध की आय” है।