भव्य स्वागत जुलूस संग आचार्यश्री पहुंचे नगर स्थित तेरापंथ भवन
नव संवत्सर के शुभारम्भ पर आचार्यश्री से प्रेरणा प्राप्त कर गदगद दिखे रोहतकवासी
रोहतक:आज विक्रम संवत् 2079 का प्रारम्भ हुआ है। वि.सं. 2078 सम्पन्न हो गया। काल अनंत है। अतीत में भी अनंत काल बीत गया और अनागत भी अनंत है। वर्तमान काल की तुलना में अतीत और अनागत अनंत हैं। काल अनंत है, तो उसी प्रकार ज्ञान भी अनंत है। अनेकानेक ग्रंथ, शास्त्र आदि के अलावा भी ज्ञान अनंत है। आदमी के पास समय कम है और उसमें भी विघ्न-बाधाएं आती रहती हैं। ऐसे में सारभूत ज्ञान को ग्रहण कर अपने जीवन को अच्छा बनाने का प्रयास करना चाहिए। इस नए विक्रम संवत् में आदमी ज्ञानार्जन करने में उपयोग करे तो अच्छा हो सकता है। आदमी को जितनी अनुकूलता हो प्रतिदिन कुछ समय धर्म ग्रंथों आदि को पढ़ने का प्रयास करना चाहिए। पढ़ने के साथ उसका मनन होना भी आवश्यक है। ज्ञान कंठस्थ भी हो और वह कंठस्थ ज्ञान सुरक्षित रहे, इसके लिए कंठस्थ ज्ञान का पुनरावर्तन भी करते रहना चाहिए। उक्त ज्ञानार्जन की प्रेरणा अध्यात्म जगत् महासूर्य, जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने रोहतक जिला मुख्यालय पर स्थित द मालाबार सभागार में विक्रम संवत् 2079 के प्रथम दिन उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रदान की।
इसके पूर्व शनिवार को प्रातः की मंगल बेला में आचार्यश्री ने खरावड़ से मंगल प्रस्थान किया। जन-जन पर आशीषवृष्टि करते हुए आचार्यश्री गतिमान हुए तो रास्ते में आने वाले अनेक गांव के लोगों को दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। वर्षों बाद रोहतक में आचार्यश्री के पदार्पण को लेकर जैन-अजैन हर वर्ग के श्रद्धालु अत्यंत उत्साहित नजर आ रहे थे। जैसे-जैसे आचार्यश्री रोहतक जिला मुख्यालय के निकट पधार रहे थे, श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही थी। आचार्यश्री रोहतक जिला मुख्यालय के निकट पधारे तो रोहतकवासियों ने अपने आराध्य का भावभीना स्वागत किया। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री लगभग ग्यारह किलोमीटर का विहार परिसम्पन्न कर रोहतक नगर स्थित तेरापंथ भवन में पधारे।
तेरापंथ भवन से कुछ सौ मीटर की दूरी पर स्थित द मालाबार सभागार में आयोजित मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में नए विक्रम संवत 2079 के शुभारम्भ के अवसर पर आचार्यश्री ने श्रद्धालुओं को ज्ञानार्जन की प्रेरणा प्रदान करने के उपरान्त कहा कि आज हमारा यहां आना हुआ है। यहां की जनता में तत्त्वज्ञान का विकास हो। श्रद्धा, भक्ति की भावना बनी रहे। इस नए संवत्सर में ज्ञान बढ़ाने की दिशा में प्रयास होता रहे। सभी धर्म, अध्यात्म और नैतिकता की भावना पुष्ट रहे।
आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के पश्चात स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री श्रीकृष्ण जैन, तेरापंथ महिला मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती नीलम जैन, पूर्व प्रधान श्री नवीन जैन, श्री राकेश जैन, श्री एस.के. जैन, श्रीमती संतोष जैन ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। स्थानीय तेरापंथ महिला मण्डल की सदस्याओं तथा स्थानीय युवक परिषद द्वारा पृथक्-पृथक् स्वागत गीत का संगान किया गया। स्थानीय बच्चों की प्रस्तुति के अलावा छवि आदि ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने भी आचार्यश्री के समक्ष अपनी प्रस्तुति दी। श्रीमती संतोष जैन द्वारा लिखित पुस्तक ‘जीवन के रंग-अध्यात्म के संग’ श्रीचरणों में लोकार्पित हुई। आचार्यश्री ने पुस्तक के संदर्भ में मंगल आशीष प्रदान की।