चंद्रग्रहण के कारण इस वर्ष काशी में देवदीपावली एक दिन पहले मनाई जाएगी। काशी विद्वत परिषद, ज्योतिष विद्वान और संतों-महात्माओं से विमर्श के बाद यह निर्णय हुआ है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा 8 नवंबर को है, लेकिन देव दीपावली 7 नवंबर को मनाई जाएगी।
यह जानकारी केंद्रीय देवदीपावली महासमिति के अध्यक्ष आचार्य वागीशदत्त मिश्र, गंगा सेवा निधि के ट्रस्टी श्यामलाल सिंह एवं सचिव हनुमान यादव, गंगोत्री सेवा समिति के पं. दिनेश दुबे, जय मां गंगा सेवा समिति अस्सी श्रवण कुमार मिश्र तथा टूरिज्म वेलफेयर असोसिएशन के अध्यक्ष राहुल मेहता ने गुरुवार को संयुक्त पत्रकारवार्ता में दी। पदाधिकारियों ने बताया कि 8 नवंबर को चंद्रग्रहण का सूतक काल सुबह 0810 बजे आरंभ हो जाएगा और मोक्ष शाम 0620 पर होगा।
मोक्ष के बाद देवदीपावली मनाई जा सकती है लेकिन ग्रहण काल में गंगा तट पर लाखों आस्थावान स्नान को जुटते हैं। देवदीपावली पर भी देसी-विदेशी पर्यटकों सहित लाखों लोग उमड़ते हैं। इस भीड़ को संभालना असंभव होगा। इसके समाधान के लिए पदाधिकारियों ने एक पखवाड़े से अधिक समय तक विषय विशेषज्ञों से संपर्क किया। धर्म सिंधु, निर्णय सिंधु सहित अन्य धर्म ग्रंथों के आधार पर विद्वानों ने 7 नवंबर को देवदीपावली मनाने की सहमति दी।
पूर्णिमा का आरंभ और समापन
पूर्णिमा 7 नवंबर को शाम 0355 बजे के बाद लगेगी। काशी के विभिन्न पंचांगों में दो से तीन मिनट के हेरफेर पर पूर्णिमा का आरंभ बताया गया है। यह तिथि 8 नवंबर को शाम 0353 बजे तक रहेगी। इस आधार पर बैकुंठ चतुर्दशीयुक्त पूर्णिमा में 7 नवंबर को देवदीपावली मनाना धर्मसंगत माना गया।
दिवाली पर नहीं पड़ेगा सूर्यग्रहण का प्रभाव
कार्तिक पूर्णिमा से पूर्व कार्तिक अमावस्या पर सूर्य ग्रहण लगेगा। लेकिन इसका असर दिवाली पर नहीं पड़ेगा। दिवाली के पूजन में निशाव्यापिनी अमावस्या की मान्यता है जो 24 अक्तूबर की रात ही मिलेगी। अमावस्या 24 अक्तूबर को शाम 0527 बजे शुरू हो जाएगी। जबकि सूर्य ग्रहण 25 अक्तूबर को लगेगा। काशी में ग्रहण का स्पर्श शाम 0442 बजे, मध्य 0502 बजे व मोक्ष शाम 0522 बजे होगा।
चंद्रग्रहण मोक्ष 6.19 बजे
चंद्रग्रहण के दिन उदयातिथि में कार्तिक पूर्णिमा 8 नवंबर को मिलेगी। उस दिन काशी में सूतक काल सुबह 0810 बजे शुरू होगा। चंद्रग्रहण का स्पर्श शाम 510 बजे, मध्य शाम 544 बजे और मोक्ष शाम 619 बजे होगा।