नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सुबह नामीबिया से लाए गए चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में आजाद कर दिया। इन्हें आज सुबह भारतीय वायु सेना के हेलिकॉप्टरों से ग्वालियर एयर फ़ोर्स स्टेशन से कुनो नेशनल पार्क ले जाया गया था। इस मौके पर एक संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि पर्यटकों और उत्साही लोगों को जंगल में चीतों को देखने के लिए अभी कुछ महीने इंतजार करना होगा। उन्होंने कहा कि जानवरों को अपने नए घर में ढलने के लिए कुछ समय चाहिए। इतना ही नहीं उन्होंने कांग्रेस के दावों पर भी पलटवार किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ”ये चीते अनजान इस इलाके में मेहमान बनकर आए हैं। कूनो राष्ट्रीय उद्यान को अपना घर बनाने में सक्षम होने के लिए हमें इन चीतों को कुछ महीने का समय देना होगा।”
उन्होंने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमने 1952 में देश से चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया, लेकिन दशकों तक उनके पुनर्वास के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया। आज जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो देश ने एक नई ऊर्जा के साथ चीतों का पुनर्वास करना शुरू कर दिया है।” उन्होंने कहा कि ‘प्रोजेक्ट चीता’ पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण की दिशा में हमारा प्रयास है। विशेषज्ञों द्वारा विस्तृत अध्ययन के बाद कूनो राष्ट्रीय उद्यान को चीतों की रिहाई के लिए चुना गया है।
कांग्रेस ने ठोका था प्रोजेक्ट चीता पर दावा
शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी ने दावा किया कि ‘प्रोजेक्ट चीता’ के प्रस्ताव को मनमोहन सिंह की सरकार के शासनकाल में स्वीकृति मिली थी। पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिए ट्वीट कर कहा, ‘प्रोजेक्ट चीता का प्रस्ताव 2008-09 में तैयार हुआ। मनमोहन सिंह जी की सरकार ने इसे स्वीकृति दी। अप्रैल 2010 में तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश जी अफ्रीका के चीता आउट रीच सेंटर गए।’ आगे कहा, 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रोजेक्ट पर रोक लगाई, 2020 में रोक हटी। अब चीते आएंगे।’
छत्तीसगढ़ में आखिरी बार देखा गया था चीता
छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के साल वन में 1947 में आखिरी बार चीता देखा गया था। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने शुक्रवार को कहा कि अत्यधिक शिकार के कारण देश में विलुप्त हो चुके चीते को वापस लाकर भारत पारिस्थितिकी असंतुलन को दूर कर रहा है। अधिकारियों ने बताया कि पांच मादा और तीन नर चीतों को नामीबिया की राजधानी विंडहोक से विशेष मालवाहक विमान बोइंग 747-400 के जरिए ग्वालियर हवाई अड्डे पर लाए गए। पहले इन चीतों को जयपुर लाया जाना था।