सरसा, भिवानी:हरियाणा की धरती वर्तमान में सुनहरी चादर में लिपटी नजर आ रही है। गेहूं, सरसों आदि की फसलें पककर खेतों में तैयार हो चुकी हैं। कहीं किसान हाथों से फसल को समेटने में लगे हुए हैं तो कहीं हार्वेस्टर द्वारा फसलों की कटाई का कार्य हो रहा है। कुछ फसलें अधपकी अवस्था में भी दिखाई दे रही हैं। ऐसे कृषि क्षेत्र में उन्नत हरियाणा प्रान्त में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता अपनी धवल सेना के साथ हरियाणा के श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक रूप से भी उन्नत बनाने को निरंतर गतिमान हैं।
सोमवार को प्रातः कलानौर स्थित ठिकाणा सति भाई साईं दासजी परिसर से आचार्यश्री ने मंगल प्रस्थान किया तो उससे जुड़े हुए लोगों ने आचार्यश्री के प्रति अपने कृतज्ञ भावों को अभिव्यक्त करते हुए आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्यश्री ने विहार के दौरान अनेक गांवों के लोगों को अपने दर्शन और आशीर्वाद से अभिसिंचित किया। तीव्र गर्मी के बावजूद भी अनवरत गतिमान समताधारी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने रोहतक जिले से भिवानी जिले में मंगल प्रवेश किया। लगभग साढे तेरह किलोमीटर का विहार कर आचार्य सरसा स्थित भिवानी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एण्ड साइन्स परिसर में पधारे। प्रबन्धन से जुड़े लोगों ने आचार्यश्री का भावभीना अभिनंदन किया।
इंस्टीट्यूट के गैलरी में आयोजित मुख्य प्रवचन में उपस्थित श्रद्धालुओं को आचार्यश्री ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि दुनिया में यातायात के बहुतायत साधन हैं। हवा में वायुयान, जल में नौका, धरती पर ट्रेन, टैक्सी, बस, टेम्पो, कार, स्कूटर, बाइक आदि-आदि अनेकानेक साधन हैं। शास्त्रकार ने शरीर को नौका और जीव को नाविक संसार को समुद्र की भांति बताया है, जिसे महर्षि लोग तर जाते हैं। मानव जीवन महत्त्वपूर्ण है। आदमी अपने शरीर रूपी नौका से इस संसार समुद्र को पार करने का प्रयास करे। संयम और तप के द्वारा इस नौका का आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को अपनी शरीर रूपी नौका को आश्रव रूपी छिद्र से बचाने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए आदमी को जब तक बुढ़ापा पीड़ित न करे, जब तक शरीर में व्याधि न आए और इन्द्रियां हीन न पड़ जाएं, तब तक आदमी को संयम और तप की साधना के द्वारा संसार रूपी समुद्र को पार करने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री महाश्रमणजी हरियाणा की धरती पर प्रायः प्रतिदिन सान्ध्यकालीन विहार कर रहे हैं। सोमवार को भी आचार्यश्री लगभग साढे पांच बजे के आसपास सरसा स्थित भिवानी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एण्ड साइंस परिसर से मंगल प्रस्थान किया और लगभग साढे तीन किलोमीटर का विहार कर नौरंगाबाद स्थित सरस्वती बाल शिक्षा निकेतन परिसर में पधारे। जहां आचार्यश्री का रात्रिकालीन प्रवास हुआ।