जयपुर:राजस्थान में सचिन पायलट खेमे ने एक बार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। गहलोत सरकार के सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा एक बार फिर खुलकर राज्य नेतृत्व के खिलाफ मैदान में उतरते नजर आ रहे हैं। सोमवार को उन्होंने आरोप लगाया कि सारी शक्ति पूरी तरह से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके कार्यालय तक सीमित रह गई है। उन्होंने आगे कहा कि एक कॉन्स्टेबल के ट्रांसफर के लिए मुख्यमंत्री के आवास पर जाना पड़ता है। दरअसल हाल ही में राजस्थान के कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने अफसरों की एसीआर भरने का अधिकार मंत्रियों को दिए जाने का मुद्दा उठाया था ताकि ब्यूरोक्रेसी पर नियंत्रण रखा जा सके। राजेंद्र गुढ़ा इसी पर अपनी प्रतिक्रिया रख रहे थे।
राजेंद्र गुढ़ा ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि जब से खाचरियावास ने एसीआर भरने का मुद्दा उठाया है इसकी काफी चर्चा हो रही है। जहां तक मेरी जानकारी है कि राजस्थान में शक्ति पूरी तरह से केंद्रित है। जो डीजीपी की नियुक्ति करता है वहीं राज्य में कॉन्स्टेबल का ट्रांसफर करता है। कॉन्स्टेबल का ट्रांसफर करने के लिए भी मुख्यमंत्री आवास जाना पड़ता है। उन्होंने यह भी कहा कि शक्ति का विकेंद्रीकरण होना चाहिए लेकिन यह वहां नहीं है।
बता दें के राजेंद्र गुढ़ा बीएसपी से कांग्रेस में शामिल होने वाले वो विधायक हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि वो पहले अशोक गहलोत खेमे के समर्थक थे। लेकिन अब वो राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के समर्थक माने जाते हैं। जब सितंबर के महीने में अशोक गहलोत कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की रेस में थे तब राजेंद्र गुढ़ा ने सचिन पायलट को सीएम बनाए जाने के समर्थन में बयान दिया था।
अभी हाल ही में राजस्थान कांग्रेस में इन दोनों खेमों के बीच आपसी खींचतान उस वक्त सतह पर नजर आई थी जब मानगढ़ में एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अशोक गहलोत की तारीफ की थी। इसपर प्रतिक्रिया देते हुए सचिन पायलट ने कहा था कि पीएम ने गुलाब नबी आजाद की भी तारीफ की थी उनका क्या अंजाम हुआ था। सचिन पायलट ने गहलोत गुट के माने जाने वाले उन नेताओं पर भी कार्रवाई की मांग की थी जो सितंबर के महीने में उपजे संकट के दौरान एक अहम मीटिंग में नहीं आए थे। इसके बाद इन नेताओं को नोटिस भी भेजा गया था।