जयपुर:मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिलने के बाद भी अब तक राजस्थान संकट का हल नहीं निकल सका है। सितंबर में गहलोत गुट के विधायकों की बगावत के बाद माना जा रहा था कि आलाकमान जल्द-से-जल्द कोई फैसला ले सकता है, लेकिन नोटिस जारी किए जाने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। इस बीच, गांधी परिवार के करीबी नेताओं में शामिल आचार्य प्रमोद कृष्णम के ताजा बयान और ट्वीट्स ने हलचल बढ़ा दी है। उन्होंने कहा है कि राजस्थान को लेकर आलाकमान जल्द फैसला लेगा और राजस्थान को बहुत जल्द अच्छा सवेरा देखने को मिलेगा। आचार्य प्रमोद ने एक के बाद एक कई ट्वीट्स को रि-ट्वीट किया है, जिससे साफ लग रहा है कि राजस्थान में बदलाव देखने को मिल सकता है और गहलोत की जगह पायलट को कमान सौंपी जा सकती है।
कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी के करीबी नेताओं में माने जाते रहे हैं। साथ ही, वे खुले तौर पर कई बार सचिन पायलट को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाने की भी अपील कर चुके हैं। पायलट का समर्थक होने की वजह से कृष्णम का ताजा बयान काफी अहम हो गया है। उन्होंने कहा है कि राजस्थान में जल्द नया सवेरा होने वाला है। ऐसे में माना जा रहा है कि फैसला पायलट के हक में जा सकता है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, ”जो-जो यहां हुआ है यह सब कांग्रेस नेतृत्व के संज्ञान में है। लीडरशिप बहुत जल्दी बड़े फैसले करने जा रहा है। कांग्रेस का हर विधायक कांग्रेस के नेतृत्व के फैसले के साथ खड़ा हुआ है। बहुत जल्दी ही एक अच्छा सवेरा देखने को मिलेगा।”
कांग्रेस नेता कृष्णम राजस्थान के दौरे पर थे। यहां पर उन्होंने कई नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने विधायक अमीन कागजी की बेटी के विवाह समारोह में हिस्सा लिया। उनके साथ विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी और पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा भी मौजूद थे। इसके अलावा, कृष्णम ने जोशी के आवास पर तकरीबन दो घंटे तक मुलाकात की। हालांकि, पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने बताया कि वे गुड़ की चाय पीने आए थे और इस दौरान इस्तीफे पर कोई भी चर्चा नहीं हुई।
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने नए सवेरे का जिक्र किया है, जिसके बाद माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान का फैसला जल्द ही सचिन पायलट के समर्थन में आ सकता है। मालूम हो कि गांधी परिवार लंबे समय से पायलट को राजस्थान का सीएम बनाना चाह रहा है। साल 2018 में भी पार्टी ने पायलट के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए चुनाव लड़ा था और सरकार बनाई थी, लेकिन बाद में लंबी चर्चाओं के बाद गहलोत को मुख्यमंत्री पद मिल गया था। उधर, सितंबर महीने में भी आलाकमान ने राजस्थान का मुख्यमंत्री बदलना तय कर लिया था, लेकिन गहलोत के करीबी विधायकों की बगावत के बाद मामला रुक गया।