जयपुर:राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा है कि सीएम अशोक गहलोत ने हमारे खिलाफ तमाम बातें कहते रहते हैं। वे हमें नाकारा, निकम्मा और गद्दार कह रहे हैं तो इस पर जवाब देने का यह समय उचित नहीं है। यह समय भाजपा को हराने के लिए एकजुट होकर लड़ने का है, अभी हम सब राहुल गांधी का हाथ मजबूत करने में लगे हैं। भाजपा के खिलाफ एकजुट होना अधिक महत्वपूर्ण है।
दरअसल गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए पहुंचे राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने गुरुवार (24 नवंबर 2022) को न्यूज चैनल एनडीटीवी के साथ बातचीत सचिन पायलट के लिए गद्दार, धोखेबाज और नाकारा जैसे शब्द बोले। उन्होंने कहा, “एक गद्दार मुख्यमंत्री नहीं बन सकता… हाईकमान सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बना सकता, एक ऐसा शख्स, जिसके पास 10 विधायक भी नहीं हैं… ऐसा शख्स, जिसने विद्रोह किया… उन्होंने पार्टी को धोखा दिया, वह गद्दार हैं…।” उन्होंने आरोप लगाया कि सचिन पायलट ने 2020 में भाजपा के साथ मिलकर अपनी ही सरकार के खिलाफ अध्यक्ष रहते हुए बगावत की थी।
उनके जवाब में सचिन पायलट ने कहा, “मैं समझता हूं कि इस तरह के झूठे और बेबुनियाद आरोप लगाने की अभी जरूरत नहीं है। आज जरूरत इस बात की है कि हम कैसे कांग्रेस पार्टी को मजबूत करें। राहुल गांधी जी भारत जोड़ो यात्रा लेकर निकले हैं। मैं आज उनके साथ मध्य प्रदेश में था। अगले महीने यात्रा राजस्थान में आ रही है। सबको मिलकर इस यात्रा को कामयाब बनाना है, क्योंकि आज वो देश की जरूरत है।”
कहा, “देश में आज भाजपा को कांग्रेस ही चुनौती दे सकती है और अभी चुनाव गुजरात में चल रहे हैं, जहां के अशोक गहलोत जी प्रभारी हैं, इंचार्ज हैं। हमें लगता है कि हम सबको सामूहिक रूप से प्रयत्न करके चुनौती देकर भाजपा को हराना है।”
उन्होंने कहा, “राजस्थान में जब सरकार बनी तो भारतीय जनता पार्टी को पोलिटिकल चुनौती हम लोगों ने दी। मैं कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष था और लगातार उनको पराजय दी, हमारी सरकार बनी। गहलोत सरकार के नेतृत्व में दो बार हमारी सरकार रहते हुए हम हारे और तीसरी बार पार्टी आलाकमान ने कहा कि उनको मुख्यमंत्री बनना है तो हम लोगों ने उनको स्वीकार किया।”
सचिन बोले- “आज हमारे लिए मुद्दा यह होना चाहिए कि राजस्थान में हमारी सरकार कैसे रीपीट हो। यह हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। ऐसे समय पर एक वरिष्ठ अनुभवी व्यक्ति इस प्रकार की बातें बोले, मुझे लगता है यह बहुत ही अनुचित है।”
इस बीच कांग्रेस पार्टी में इस टकराव से राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने चुनौती बढ़ गई है। गुजरात चुनाव और इसके बाद अगले साल कुछ अन्य राज्यों के होने वाले चुनावों से पहले ऐसे आपसी विवाद पार्टी को नुकसान पहुंचाएंगे।