नई दिल्ली:टेलीकाॅम रेगुलेटरी ट्राई (TRAI) ने 3300-3670 मेगाहर्ट्ज बैंड में 5जी स्पेक्ट्रम के लिए रिजर्व प्राइस में 35 प्रतिशत की कटौती की सिफारिश की है। ट्राई ने इसे 317 करोड़ रुपये प्रति मेगाहर्ट्ज रखने का सुझाव दिया।
TRAI ने स्पेक्ट्रम की कीमतों को लेकर अपनी मच-अवेटेड सिफारिशें पेश करते हुए अलग-अलग स्पेक्ट्रम बैंड के लिए रिजर्व प्राइस को पिछली बार की तुलना में करीब 39 फीसदी कम रखने का सुझाव दिया है।
ट्राई ने कहा है कि 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज एवं 2500 मेगाहर्ट्ज के मौजूदा बैंड और 600 मेगाहर्ट्ज, 3300-3670 मेगाहर्ट्ज एवं 24.25-28.5 गीगाहर्ट्ज के नए स्पेक्ट्रम बैंड में सभी मौजूदा स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाएगी।
सरकार इसी साल स्पेक्ट्रम की नीलामी करने की तैयारी में है। चालू वित्त वर्ष 2022-23 में 5जी मोबाइल सेवाएं शुरू करने के लिए प्राइवेट टेलीकाॅम कंपनियों को 5जी स्पेक्ट्रम देना है। इससे इंटरनेट एवं अपलोडिंग की गति काफी तेज हो जाने की उम्मीद है।
ट्राई ने एक बयान में कहा, ‘‘दूरसंचार सेवाप्रदाताओं को लचीलापन देने के लिए 3300-3670 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिए 10 मेगाहर्ट्ज और 24.25-28.5 गीगाहर्ट्ज के लिए 50 मेगाहर्ट्ज का ब्लॉक रखने की सिफारिश की गई है।’’ सूत्रों के मुताबिक, ट्राई ने पिछली बार के सुझावों की तुलना में इस बार विभिन्न बैंड में करीब 39 फीसदी कम आरक्षित मूल्य रखा है। सबसे अहम माने जा रहे 3300-3670 मेगाहर्ट्ज वाले 5जी स्पेक्ट्रम के लिए अखिल भारतीय स्तर पर आरक्षित मूल्य 317 करोड़ रुपये प्रति मेगाहर्ट्ज रखा गया है जो पिछली बार की तुलना में 35 प्रतिशत कम है। पिछले साल ट्राई ने इस स्पेक्ट्रम के लिए 492 करोड़ रुपये प्रति मेगाहर्ट्ज का आरक्षित मूल्य रखने की सिफारिश की थी।
इसी के साथ 700 मेगाहर्ट्ज के लिए भी आधार मूल्य 3,927 करोड़ रुपये प्रति मेगाहर्ट्ज रखने की सिफारिश की गई है जो पिछले सुझावों की तुलना में 40 प्रतिशत कम है। ट्राई ने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र की दीर्घावधि वृद्धि एवं निरंतरता, तरलता डालने और निवेश बढ़ाने के लिए दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को आसान भुगतान विकल्पों की इजाजत दी जानी चाहिए।