बीते दो-तीन वर्षों में देश में फटाफट लोन देने वाले ऐप की संख्या में अच्छी-खासी बढ़ोतरी हुई है। यह ऐप ग्राहकों को कुछ ही मिनट में लोन दे देते हैं। लेकिन बाद में वसूली करते समय ग्राहकों से खराब व्यवहार करते हैं।
ग्राहकों की ओर से इनकी मनमानी को लेकर लगातार शिकायतें भी मिलती रहती हैं। इन सब पर अंकुश लगाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) डिजिटल लेंडिंग को लेकर नई पॉलिसी लेकर आ रहा है।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में मौद्रिक नीति समिति की बैठक के फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि डिजिटल लेंडिंग से जुड़ी गाइडलाइंस अगले दो महीने में जारी कर दी जाएंगी। इससे फटाफट लेने देने वाली ऐप कंपनियों की मनमानी पर लगाम लगेगी। दास ने कहा कि डिजिटल लेंडिंग को लेकर मिली सिफारिशों के परीक्षण का कार्य पूरा हो चुका है। जल्द इन पर आंतरिक चर्चा होगा। इसके बाद गाइडलाइंस को अंतिम रूप दिया जाएगा।
आरबीआई के वर्किंग ग्रुप का मानना है कि सिर्फ सत्यापित फिनटेक कंपनियों को ही लोन देने की इजाजत होनी चाहिए। बाय-नाउ-एंड-पे-लेटर सहित सभी फिनेटक कंपनियों को आरबीआई की गाइडलाइंस के तहत आना जरूरी है। आरबीआई की गाइडलाइंस के बाद झूठे मंचों और ऐप पर रोक लग जाएगी। यह गाइडलाइंस कैपिटल फ्लोट, स्लाइस, जेस्टमनी, पेटीएम, भारतपे और यूएनआई जैसे बीएनपीएल खिलाड़ियों पर भी लागू होंगी।