मोतीपुरा, भिवानी:जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर के जन्म जयन्ती पर जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमणजी ने हरियाणा के भिवानी जिले मोतीपुरा गांव में स्थित राजकीय प्राथमिक पाठशाला में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उपस्थित चतुर्विध धर्मसंघ को भगवान महावीर के जीवन से साधु-संतों को आगम स्वाध्याय में रुचि लेने तथा श्रावक समाज को आहार शुद्धि के प्रति विशेष जागरूक रहने की प्रेरणा प्रदान की।
इसके पूर्व गुरुवार को प्रातः आचार्यश्री ने सिवानी से मंगल प्रस्स्थान किया। दिन प्रतिदिन बढ़ता सूर्य का आतप जन-जन को जहां अपने घरों में दुबकने को मजबूर कर रहा है तो वहीं समता के साधक, अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी जन कल्याण के लिए निरंतर गतिमान हैं। लगभग चौदह किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री भिवानी जिले के मोतीपुरा गांव स्थित राजकीय प्राथमिक पाठशाला में पधारे।
गुरुवार को चैत्र मास के शुक्लपक्ष की त्रयोदशी तिथि थी जो भगवान महावीर की जन्म जयन्ती के रूप में मनाई जाती है। इस संदर्भ में आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में श्रद्धालुओं की भी विशेष उपस्थिति थी। आचार्यश्री मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में सर्वप्रथम नेपाल नववर्ष के प्रारम्भ होने के संदर्भ में आचार्यश्री ने बृहत् मंगलपाठ सुनाया। साथ ही वहां के लोगों में शांति रहे, ऐसी आध्यात्मिक मंगलकामना की। वर्चुअल रूप से आचार्यश्री के मंगलपाठ का श्रवण कर नेपाल से संबद्ध लोग आचार्यश्री के प्रति कृतज्ञता की अनुभूति कर रहे थे। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व मुख्यमुनिश्री महावीरकुमारजी ने भगवान महावीर के जीवन पर प्रकाश डाला। साध्वीवर्या साध्वी संबुद्धयशाजी ने भगवान महावीर के अनेकांत दर्शन को व्याख्यायित किया।
भगवान महावीर के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमणजी ने भगवान महावीर के जन्म जयन्ती के संदर्भ में चतुर्विध धर्मसंघ को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि श्रमण ज्ञात पुत्र भगवान महावीर लोकोत्तम पुरुष थे। दुनिया में अनेक प्रकार के आदमी होते हैं। उनमें कोई-कोई व्यक्ति लोकोत्तम, पुरुषोत्तम और महत्तम होते हैं। भगवान महावीर को शास्त्र में लोकोत्तम पुरुष कहा गया है। आज चैत्र शुक्ला त्रयोदशी उनकी जन्म जयन्ती की तिथि के रूप में निर्धारित है। आज के दिन ऐसे महान व्यक्तित्व का जन्म हुआ था, जिनकी महानता की रश्मियां ऊर्जा प्रदान करने वाली सिद्ध हो सकती हैं। भगवान महावीर सीधे केवली नहीं बने, पिछले कितने जन्मों में उन्होंने तपस्या और साधना की थी। ऐसा लगता है कि एक जन्म की साधना से सिद्धि होना मुश्किल लगता है।
हम लोग जैन शासन में साधना कर रहे हैं। जैन शासन के वर्तमान रूप को भगवान महावीर से संबद्ध मान सकते हैं। हम सभी प्रभु महावीर की ही संतान हैं। सभी संप्रदाय आज के दिन एक साथ जयंती मनाते हैं। भगवान महावीर आस्तिक दर्शन के अधिकृत प्रवक्ता थे। जैन आगम आयारो भगवान महावीर के जन्म आदि से संबंधित वर्णन प्राप्त हो सकता है। साधु-साध्वियों को आज के अवसर से यह प्रेरणा लेने का प्रयास करना चाहिए कि जितना संभव हो सके आगमों का अध्ययन करने का प्रयास करना चाहिए।
श्रावक समाज को भी भगवान महावीर के जीवन से प्रेरणा लेकर सामायिक आदि आराधना-साधना में समय लगाने का प्रयास करना चाहिए। खानपान में शुद्धता रखने का प्रयास करना चाहिए। शादी-विहार, पार्टी आदि किसी भी अवसर पर किसी प्रकार के मांसाहार व शराब आदि के सेवन से बचने का प्रयास करना चाहिए। आदमी के जीवन में खानपान के प्रति संयम का भाव बना रहे। भगवान महावीर के जन्म जयंती के अवसर पर अपने आचरण को शुद्ध बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। भगवान महावीर की जन्म जयंती से प्रेरणा लेकर श्रावक समाज खानपान की शुद्धि और अपने आध्यात्मिक जीवन के विकास की प्रेरणा ग्रहण करने का प्रयास करना चाहिए।
मंगल प्रवचन कार्यक्रम के उपरान्त मुनिश्री धर्मरुचिजी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। मुनिश्री राजकुमारजी, मुनि अनेकांतकुमारजी, साध्वी चारित्रयशाजी, साध्वी वैभवप्रभाजी व साध्वी मैत्रीयशाजी ने पृथक्-पृथक् गीतों का संगान किया। तेरापंथ महिला मंडल-सादुलपुर, श्रीमती संगीता सेठिया तथा तेरापंथ महिला मण्डल-कन्या मण्डल ने अपने-अपने गीतों का संगान किया। भिवानी के एडवोकेट श्री सुरेन्द्र कुमार जैन ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी।