नई दिल्ली: प्रतिभा कभी भी परिस्थितियों की मोहताज नहीं होती है और वो अपना रास्ता बना ही लेती है। भारतीय खेल जगत में ऐसे कई खिलाड़ी हुए हैं जिन्होंने विषम परिस्थितियों से जूझते हुए अपनी प्रतिभा और मेहनत के बूते सफलता हासिल की और देश का नाम रोशन किया। ऐसी ही एक महिला क्रिकेटर अंजली वत्स हैं जो अभी दिल्ली अंडर-15 महिला क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।
दिल्ली की अंजली वत्स के लिए सब कुछ बहुत आसान नहीं था, लेकिन उनके अंदर क्रिकेट के लिए जो जज्बा था उसके दम पर उन्होंने दिल्ली की अंडर-15 टीम में जगह बनाई और आगे उनका इरादा देश के लिए खेलने का है। दैनिक जागरण से बात करते हुए उन्होंने कहा कि विराट कोहली उनके फेवरेट क्रिकेटर हैं, लेकिन जसप्रीत बुमराह को देखकर वो गेंदबाजी करने के लिए प्रेरित हुईं।
अंजली ने कहा कि उन्हें लगा कि वो गेंदबाजी कर सकती हैं और इसके बाद उन्होंने अपने मन की बात अपने पिता को बताई जिन्होंने अंजली के सपनों को उड़ान देने के लिए हर वो प्रयास किए जो एक पिता कर सकते हैं।
अंजली के पिता मनोज कुमार ऑटो चालक हैं और उन्होंने बताया कि वो जब 11 साल की थीं तब उसने कहा कि वो क्रिकेट खेलना चाहती है और मैंने उनकी बात का सम्मान करते हुए उसे आगे बढ़ाने के प्रयास शुरू कर दिए। उन्होंने कहा कि उनके परिवार में कोई क्रिकेट नहीं खेलता, लेकिन अंजली में कुछ खास था। इसके बाद उन्होंने अंजली को ट्रेनिंग के लिए गुरप्रीत सिंह हैरी के पास लेकर गए। गुरप्रीत सिंह ने अंजली के टैलेंट को पहचाना और ट्रेनिंग देना शुरु किया।
जली इन दिनों गुरप्रीत सिंह हैरी की देखरेख में जीएस हैरी क्रिकेट अकेडमी में क्रिकेट के गुर सीख रही हैं। उनके बारे में गुरप्रीत सिंह ने कहा कि जब अंजली उनके पास आई थी तब वो बल्लेबाज बनना चाहती थीं, लेकिन मुझे लगा कि वो गेंदबाजी कर सकती हैं। मैंने देखा कि अंजली की हाइट अच्छी थी और वो काफी तेजी से गेंद फेंक सकती हैं।
उनमें काफी पोटेंशियल है और भारतीय महिला टीम में मीडियम पेसर की कमी है तो उनके पास संभावना है। अंजली आउट स्विंग और इन स्विंग दोनों ही तरह से गेंदबाजी कर लेती हैं जो उनकी खासियत है। कोच हैरी ने कहा कि वो 11 साल की उम्र में मेरे पास आई थीं और अभी 13 साल की हैं, लेकिन इन दो साल में ही उन्होंने काफी कुछ सीखा है जो काबिले तारीफ है।