135 करोड़ (तकऱीबन) की आबादी वाले मेरे राष्ट्र का 1 फऱवरी को बजट आ गया। यह किसी के लिए वरदान व उपहार हो सकता है, वहीं किसी के लिए बकवास और अपमान। यह सब नज़रिये और परिस्थिति पर निर्भर करता है। दो वाक्यों में अपनी बात रखूं तो वो लोग खुश होंगे जिन्हे 1 वक्त के भोजन के लिए भी आस भरी आखों से दिल्ली की ओर देखना पड़ता है उन्हें इस वर्ष भी नि :शुल्क अनाज मिलेगा वहीं वो दुखी होंगे जिन्हे मात्र 7 लाख से ज्यादा कमाने पर टैक्स देना पड़ेगा। आप सोचिए यह बजट कैसा है तब तक मैं बजट पर कुछ और पढ़ -लिख लेता हूं …
आजाद भारत के अमृत काल का पहला बजट जो की अर्थव्यवस्था के कोरोना से उबर आने के चलते यह स्पष्ट था कि इस बार का आम बजट कुछ भिन्न होगा।अंतत: ऐसा ही हुआ। मोदी सरकार के वर्तमान कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट प्रस्तुत करते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सबसे अपनी दोस्ती, ना काहू से बैर के भाव के साथ इस बजट में चुनावी वर्ष की छाया भी साफ तौर पर महसूस हो रही है। वैश्विक मंदी और रूस-यूक्रेन युद्ध का अपना असर है, इसके बावजूद वित्त मंत्री ने अपनी सीमाओं के अंदर एक सकारात्मक भविष्योन्मुख बजट पेश किया है। कुछ योजनाओं को पूरा करने के लिए तीन साल से पांच साल तक का समय लिया गया है, मतलब सरकार अपनी घोषणाओं में किसी भी तरह के बड़बोलेपन से बचने में कामयाब रही है। आज के समय में अर्थव्यवस्था जिस मोड़ पर है, वहां किसी भी विशेष वर्ग को निशाने पर नहीं लिया जा सकता। एक ओर, जरूरतमंदों को राहत पहुंचाने के लिए विभिन्न मदों में बजट की बढ़ोतरी हुई है, वहीं बड़ी कंपनियों और निवेशकों की चिंता भी सरकार स्पष्ट रूप से कर रही है। कंपनियों और निवेशकों की तात्कालिक खुशी को इस बात से समझा जा सकता है कि बजट आते ही शेयर बाजार में बढ़त का क्रम दिखा। हालांकि, कुछ समय बाद गिरावट हुई, पर तब भी बाजार ने समग्रता में नुकसान का संकेत नहीं दिया। यह सरकार के लिए एक राहत की बात हो सकती है।
नौकरीपेशा लोगों के लिए आयकर स्लैब में वृद्धि एक खुशखबरी है। आयकर स्लैब को तार्किक बनाने की मांग विगत चार-पांच साल से ज्यादा हो रही थी, लेकिन आयकर वसूलने में सहजता की वजह से सरकार किसी नई रियायत के लिए तैयार नहीं थी। साल 2014 के बाद अब जो परिवर्तन हुआ है, उसके अनुसार, नई आयकर स्कीम को स्वीकार करने वाले लोगों को सात लाख वार्षिक आय पर अब आयकर भुगतान की जरूरत नहीं पड़ेगी। दूसरा परिवर्तन यह है कि यदि आप पुरानी आयकर स्कीम को नहीं चुनेंगे, तो आप पर स्वत: नई आयकर स्कीम लागू हो जाएगी। हालांकि, जिन लोगों की वार्षिक आय 15.5 लाख से ज्यादा है, उन्हें 30 प्रतिशत आयकर चुकाना पड़ेगा।
संकेत स्पष्ट है कि पुरानी आयकर स्कीम की विदाई होने वाली है। इसका एक अर्थ यह भी है कि आयकर बचाने के लिए होने वाले निवेश में कमी आएगी। वैसे भी आयकर चुकाने वाले लोग ज्यादा नहीं हैं और जो सक्षम वर्ग है, वह आयकर बचाने में सबसे आगे रहता है। आयकर फॉर्म को सरल बनाने के साथ ही आयकर से जुड़े भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए भी ज्यादा सक्रिय होने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री आवास योजना के बजट का 66 प्रतिशत बढऩा उन नागरिको के लिए सुखद है, जो अभी तक अपना आशियाना नहीं बाना पाए है। एकलव्य विद्यालय के तहत आदिवासियों के विकास की पहल प्रशंसनीय है, तो महिलाओं के लिए विशेष बचत स्कीम व बचत बढ़ाने की अन्य कोशिशें भी सराहनीय हैं।
इस वर्ष का बजट आने वाले 25 वर्षों में देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को रेखांकित भी करता है। बजट के माध्यम से यह साफ संदेश दिया गया है कि सरकार विकास दर के साथ खपत बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए उसने आधारभूत ढांचे को विकसित करने हेतु बजट आवंटन बढ़ा 10 लाख करोड़ रुपये करने की घोषणा की है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 33 प्रतिशत अधिक है। स्पष्ट है कि यह कदम न केवल आवश्यक आधारभूत ढांचे का निर्माण करने में सक्षम होगा, बल्कि विकास को बल देने के साथ रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में भी सहायक होगा। राज्यों को पचास साल के लिए ब्याज मुक्त ऋण देने का प्रस्ताव भी समयानुकल है। किसानों को राहत देने की कोशिश हुई है, तो सहकारिता में फिर प्राण फूंकने का इरादा भी जाहिर है। गांव और शहर के बीच यह बजट संतुलन साधने की कोशिश करता दिख रहा है। अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए अभी भी बहुत गुंजाइश है सर्वाधिक पैसा रक्षा पर खर्च हो रहा है। सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य का बजट बढ़ाया है, लेकिन अभी और की उम्मीद है।
सोचा ….? नहीं तो सोचिये आप देश के किस हिस्से में है जहां अन्न का दाना जान से कीमती है या 7 लाख कमाने के बाद भी असतुंष्ट होना ….. इच्छा मत मारिये पर जीवन जीना भी मत छोडिय़े…