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Home ओपिनियन

पर्यावरण की चिंता है तो कपड़े कम खरीदिए

जानें जलवायु परिवर्तन के खतरों से बचने के लिए फैशन पर लगाम कितना जरूरी

ON THE DOT TEAM by ON THE DOT TEAM
April 19, 2022
in ओपिनियन
Reading Time: 1 min read
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पर्यावरण की चिंता है तो कपड़े कम खरीदिए

 फैशन और ट्रेंड के साथ तो सभी चलना चाहते हैं। बदलते फैशन के हिसाब से नए कपड़े और जूते का शौक भी खूब होता है लेकिन कभी सोचा है कि आपका यह फैशन पर्यावरण पर कितना भारी पड़ सकता है। आस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी आफ टेक्नोलाजी सिडनी के शोधकर्ताओं समांथा शार्प, मोनिक रेटमल और टेलर ब्रिजेज ने इस संबंध एक रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट दिखाती है कि जलवायु परिवर्तन के खतरों से बचने के लिए फैशन पर लगाम कितनी जरूरी है।

अगर कोई बड़ा बदलाव नहीं आया तो 2050 तक वैश्विक तापमान वृद्धि को दो डिग्री सेल्सियस तक रोकने के लिए अधिकतम जिस स्तर तक वैश्विक कार्बन उत्सर्जन रखने की बात है, उसका 25 प्रतिशत उत्सर्जन अकेले फैशन इंडस्ट्री से होगा।

– 35 प्रतिशत ज्यादा जमीन की आवश्यकता होगी 2030 तक फाइबर बनाने के लिए

– 75 प्रतिशत कम करनी होगी नए कपड़ों की खरीद, यदि जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटना है

कुछ कदम उठाने की जरूरत

– संसाधनों के उपभोग पर विचार करने की जरूरत है। समाज के तौर पर हमें भी सोचना होगा कि जीने के लिए कितने कपड़े पर्याप्त हैं। कम कपड़े खरीदना और बहुत खास मौके पर प्रयोग वाले कपड़ों को किराए पर लेना भी अच्छा विकल्प है।

– फैशन में बदलाव की गति भी कम करनी होगी। नए ट्रेंड के पीछे भागने के बजाय सदाबहार स्टाइल को अपनाएं। बहुत ज्यादा कपड़ों के बजाय कम और अच्छी गुणवत्ता के कपड़े चुनें।

– कपड़ों की अदला-बदली को बढ़ावा दें। अपने दोस्तों एवं परिचितों में ऐसा करते हुए आप अपने वार्डरोब को नई स्टाइल के कपड़ों से सजाते रह सकते हैं। कुछ कंपनियां भी इस तरह के तरीके अपना रही हैं।

बहुत आसान नहीं होगी राह

कपड़ों का उत्पादन कम कर देने की राह बहुत आसान नहीं है। इस उद्योग से बहुत बड़ी संख्या में श्रम भी जुड़ा है। उस वर्ग के लिए वैकल्पिक व्यवस्था तैयार करना भी जरूरी होगा।

पिछले 15 साल में वैश्विक स्तर पर कपड़ों का उत्पादन दोगुना हो गया। वहीं किसी कपड़े को पहने जाने का औसत समय कम हो रहा है। कपड़े बनाने की प्रक्रिया में खर्च कम हुआ है। इससे कीमत घटी है। इसका नतीजा यह है कि लोग ज्यादा कपड़े खरीद रहे हैं। यूरोपीय संघ में अब लोग जितने कपड़े खरीद रहे हैं, उतना पहले कभी नहीं खरीदा है। नए-नए स्टाइल के कपड़े आ रहे हैं। फास्ट फैशन की जगह भी अब अल्ट्रा फास्ट फैशन ने ले ली है। पर्यावरण संबंधी चिंता को देखते हुए फैशन इंडस्ट्री ने पर्यावरण के अनुकूल फाइबर के इस्तेमाल से लेकर कई अन्य कदम उठाए हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है।

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