असलाली, अहमदाबाद (गुजरात) : अपनी अणुव्रत यात्रा के साथ सद्भावना, नैतिकता एवं नशामुक्ति का संदेश देते हुए गुजरात राज्य को पावन बनाते हुए युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण अब अहमदाबाद से सूरत की ओर प्रवर्धमान है। आज प्रातः आचार्यश्री ने अमराईवाड़ी, ओढव के सिंघवी भवन से मंगल विहार किया। इस दौरान स्थानीय तेरापंथ भवन में आचार्यवर पधारे एवं श्रावक समाज को पावन पाथेय प्रदान किया। जैसे–जैसे पूज्य चरण अहमदाबाद शहर से बाहर की ओर बढ़ रहे थे वैसे–वैसे शहरी आबादी भी घटती नजर आ रही थी। मार्ग में श्रद्धालुओं के निवेदन पर कुछ स्थानों पर सोसाइटी प्रांगण में गुरुदेव पधारे एवं अपने पावन आशीष से श्रद्धालुओं को कृतार्थ किया। लगभग 13 किमी विहार कर ज्योतिचरण आचार्य श्री महाश्रमण असलाली की प्राथमिक शाला में प्रवास हेतु पधारे। गुरुदेव की सन्निधि में चैत्र शुक्ला नवमी के अवसर पर रामनवमी एवं आचार्य श्री भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस भी मनाया गया।
मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में धर्म देशना देते हुए गुरुदेव ने कहा– मनुष्य जीवन हमें प्राप्त है, यह जीवन बहुत दुर्लभ माना जाता है। संसार के समस्त प्राणियों में मनुष्य जीवन बहुत ऊंचा माना गया है। यही जीवन है जिससे आत्मा परमात्मा के पद को प्राप्त कर सकती है। जब साधना और साध्य मिलता है, तभी आदमी परम पद को प्राप्त कर सकता है। साधुत्व के बिना मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती। चाहे वेश कोई भी हो भावना में साधुत्व का प्रवेश होना मुख्य बात है। जो साधु वेश भी कभी कभी नहीं होता व बिना साधु के वेश में भी हो पाना संभव है।
आचार्यश्री ने प्रसंगवश आगे फरमाया कि आज रामनवमी है, श्री रामचंद्र जी के साथ जुड़ा हुआ दिन। उन्होंने वनवास में कठिन व संघर्ष पूर्ण जीवन भी जीया व हर परिस्थिति में सम रहे। न राज्य, सता व पद की लालसा उन्हें प्रभावित कर सकी। संघर्षों में समता, प्रसन्नता रखना बड़ी बात होती है। आज हमारे आद्य प्रणेता आचार्य श्री भिक्षु का भी अभिनिष्क्रमण दिवस है। आज ही के दिन 263 वर्ष पूर्व आचार्य भिक्षु शुद्धाचार का पथ अपनाया व धर्मक्रांति की। उनका यह तेरापंथ जो प्रभु का पंथ है, भगवान महावीर का पंथ है वही तेरापंथ आज मेरा पंथ व हम सबका पंथ बन गया। उनके दिखाए मार्ग पर चलकर हम अपने जीवन को कल्याण की दिशा में बढ़ा सकते है। आज के दिन परमवंदनीय, परम आराध्य आचार्य श्री भिक्षु के चरणों में श्रद्धासिक्त अभिवंदना।