अपनी सुदीर्घ पदयात्राओं द्वारा गांव–गांव, नगर–नगर जाकर मानव–मानव के भीतर मानवता की ज्योति जगाने वाले अणुव्रत यात्रा प्रणेता युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी अपनी धवल सेना के साथ प्रतिदिन 10–15 किलोमीटर विहार कर गुजरात धरा के कस्बों को पावन बना रहे है। आज आचार्यश्री ने सूर्योदय की वेला में कनेरा ग्राम से मंगल विहार किया। यात्रा में जहां एक ओर विभिन्न क्षेत्रों का श्रावक वर्ग पदयात्रा में संभागी है वहीं निरंतर पूज्यप्रवर के दर्शनार्थ श्रद्धालुओं का आवागमन भी जारी है। लगभग 13 किलोमीटर का विहार कर पूज्य गुरुदेव खेड़ा नगर में पधारे। मार्ग में स्वामीनारायण गुरुकुल के विद्यार्थियों को पूज्यप्रवर ने प्रेरणा पाथेय प्रदान किया। खेड़ा में एच एंड डी पारेख हाई स्कूल में गुरुदेव का प्रवास हुआ।
मंगल प्रवचन में प्रेरणा प्रदान करते हुए आचार्यश्री ने कहा– हमारे जीवन में ज्ञान का बड़ा महत्व होता है। अज्ञान तो एक प्रकार का कष्ट है। अज्ञानी व्यक्ति को अपने स्वयं के हित व अहित का भी ज्ञान नहीं होता। ज्ञान का सार है आचार। ज्ञान प्राप्त कर हेय को छोड़ देना व उपादेय को आचरण में लाने का प्रयास करना चाहिए। बिना ज्ञान और सम्यक्त्व के किया गया आचरण अधिक लाभप्रद भी नहीं होता।
पूज्यप्रवर ने आगे कहा कि जैसे अपनी आँखें अपनी ही होती है, वैसे ही अपना ज्ञान ही अपना होता है। खुद का ज्ञान स्वयं को व स्वयं की आत्मा को प्रकाशित करता है। जिस ज्ञान से तत्व का बोध हो, हेय व उपादेय की जानकारी हो व आत्मा का कल्याण हो, ऐसे ज्ञान को प्राप्त करना चाहिए। हर ज्ञान का महत्व होता है, पर उसके साथ आध्यात्म ज्ञान की भी प्राप्ति व विकास होना चाहिए। हमारी यह यात्रा अणुव्रत यात्रा के नाम से चल रही है। आचार्य तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन द्वारा नैतिकता के उन्नयन का कार्य किया। अणुव्रत का अभी 75 वां वर्ष चल रहा है। व्यक्ति ज्ञान और आचार के योग से अपने जीवन में विकास को प्राप्त कर सकता है।
इस अवसर पर प्रवचन में उपस्थित स्वामीनारायण संप्रदाय के स्वामी निर्माणप्रीय दास जी ने अणुव्रत यात्रा के संदर्भ में भावाभिव्यक्ति दी। स्वागत के क्रम में स्थानीय तेरापंथ सभा अध्यक्ष श्री जयेश चोपड़ा, युवक परिषद अध्यक्ष श्री जितेन्द्र चोपड़ा, महिला मंडल अध्यक्षा श्रीमती रचना कटारिया, समाज सेवक श्री कल्पेश सिंह वाघेला आदि ने अपने विचारों की प्रस्तुति दी। महिला मंडल की बहनों ने सामुहिक गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने प्रस्तुति दी।