महावीर स्वामी जन्म कल्याणक चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है। यह पर्व जैन धर्म के २४वें तीर्थंकर महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक के उपलक्ष में मनाया जाता है। भगवान महावीर स्वामी का जन्म ईसा से ५९९ वर्ष पूर्व कुंडग्राम (बिहार), भारत मे हुआ था। वर्तमान में वैशाली (बिहार) के वासोकुण्ड को यह स्थान माना जाता है। २३वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ जी के निर्वाण (मोक्ष) प्राप्त करने के 188 वर्ष बाद इनका जन्म हुआ था। जैन ग्रन्थों के अनुसार जन्म के बाद देवों के मुखिया, इन्द्र ने सुमेरु पर्वंत पर ले जाकर बालक का क्षीर सागर के जल से अभिषेक कर नगर में आया। वीर और श्रीवर्घमान यह दो नाम रखे और उत्सव किया। इसे ही जन्म कल्याणक कहते है। हर तीर्थंकर के जीवन में पंचकल्याणक मनाए जाते है। गर्भ अवतरण के समय तीर्थंकर महावीर की माता त्रिशला ने १६ शुभ स्वप्न देखे थे जिनका फल राजा सिद्धार्थ ने बताया था। ३० साल की उम्र में इन्होंने राज पाठ त्याग कर संन्यास धारण कर लिया था व् अध्यात्म की राह में चल दिए।
भगवान् महावीर ने अपने प्रवचनों में धर्म, सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, क्षमा पर सबसे अधिक जोर दिया। त्याग और संयम, प्रेम और करुणा, शील और सदाचार ही उनके प्रवचनों का सार था ।
महावीर को पढ़ा और सुना जाए तो मन पवित्र होता है और उनके संदेशों को जिया जाए जीवन धन्य होता है। इसलिए महावीर जैन नहीं जिन थे। वे केवल जैनों के नहीं वरन सम्पूर्ण मानवता के भगवान हैं। अगर उनके अहिंसा, अनेकांत, समता, समानता, सहयोग जैसे संदेशों को विश्वभर में फैला दिया जाए तो विश्व मैत्री और विश्व शांति का सपना शीघ्र साकार हो सकता है।
महावीर शब्द की व्याख्या करें तो पता चलेगा कि महावीर का म महादेव का, ह हनुमान का, व विष्णु का व र राम का वाचक है। महावीर का नाम लेने से चारों महापुरुषों को एक साथ प्रणाम हो जाता है।
हमें महावीर का म महान बनने, ह हिम्मत न हारने, व वचन निभाने और र अपने राग द्वेष को जीतने की प्रेरणा देता है। जैसे राम ने रावण का और कृष्ण ने कंस का संहार किया वैसे ही वद्धर्मान ने क्रोध और कषाय के कंस का एवं राग और द्वेष के रावण का अंत कर वीरों के वीर महावीर बन गए।
एक दिव्य आत्मा ने 2622 वर्ष पहले अवतार लिया था उन्होंने जंग एक भी लडी नहीं, फिर भी जग को जीत लिया, ऐसे प्रभु जिन्होंने अहिंसा, अपरिग्रह, अनेकांत का हमको मंत्र दिया,उस जगत के तारक प्रभु महावीर को कोटि कोटि वंदन! जब हम जीयो और जीने दो का नारा अपना लेंगे और महावीर को मानने के साथ महावीर की वाणी को मानने लगेंगे तभी महावीर का सच्चे अर्थों में धरती पर पुनः अवतरण हो पाएगा।
अंत में आप सभी को भगवान महावीर के जन्म कल्याणक अवसर पर ढेर सारी शुभकामनाएँ। आपका जीवन सुखमय, धर्ममय और आनंदमय हो।