जम्मू | सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले दिग्गज संत कश्मीर की वादियों में प्रकृति का आनंद लेते नज़र आये। इस संत सम्मलेन का उद्देश्य राष्ट्रीय हित में किये जाने वाले कार्यों व् सनातन संस्कृति के संरक्षण हेतु नयी रणनीतियों को अमलीज़ामा पहनाना था ।
इस मौके पर अनंत श्री विभूषित महामंडलेश्वर स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती जी महाराज, श्री पंचायती अखाड़ा व अध्यक्ष, अखिल भारतीय संत समिति ने कहा कि कश्मीर का प्राकृतिक सौंदर्य मन-मस्तिष्क को परम शान्ति प्रदान करता है। आज हम यदि धरती के इस स्वर्ग में अपनी सकारात्मक योजनाओं के सन्दर्भ में विचार विमर्श कर पा रहे हैं तो इसका श्रेय माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को जाता है। सरकार द्वारा अनुच्छेद-370 के अधिकांश प्रावधानों को निरस्त कर दिया गया जिसके फलस्वरूप हिन्दुओं के कश्मीर आवागमन की बाधाओं का अंत हुआ है। घाटी में एक अलग सुकून है, शान्ति है इससे पूर्व स्थिति अलग थी, भयावह थी । इतना ही नहीं बल्कि कश्मीर में पर्यटकों के आगमन ने एक दशक पुराना रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है । अब बस हमारा यही स्वप्न है कि हमें शीघ्रातिशीघ्र हमारा कश्मीर पूरी तरह से मिल जाए । पाकिस्तान में कैद हमारे कश्मीर का हिस्सा भी मोदी जी के प्रबल नेतृत्व में हमें जरूर मिलेगा, ऐसा हमारा विशवास है।
इस संत सम्मलेन में महामंडलेश्वर स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती जी महाराज के अतिरिक्त पूज्य अटलपीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती जी महाराज, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानन्द भारती जी, महाराज श्रीनिर्मलपीठाधीश्वर आचार्य स्वामी ज्ञानदेव जी, महाराज दक्षिणामूर्तिपीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी पुण्यानंद गिरि जी महाराज,
महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानंद सरस्वती जी महाराज मैनपुरी उत्तर प्रदेश, महामंडलेश्वर स्वामी श्याम चैतन्य पुरी जी महाराज श्री धाम वृंदावन, महामंडलेश्वर स्वामी अक्षरानंद गिरि जी महाराज जम्मू, महामंडलेश्वर स्वामी शिव चैतन्य सरस्वती जी महाराज शामिल हुए ।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 और 35ए के प्रावधान 17 नवंबर, 1952 से लागू थे। ये अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर और यहां के नागरिकों को कुछ अधिकार और सुविधाएं देते थे, जो देश के अन्य हिस्सों से अलग हैं। जब सरकार अनुच्छेद-370 के अधिकांश प्रावधानों को निरस्त कर दिया और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया तो वहां की राजनीतिक तस्वीर ही बदल गई।