– मुख्यमुनि श्री महावीर बहुश्रुत परिषद के संयोजक मनोनीत
खरोड़, भरूच: तीर्थंकर प्रभु महावीर के प्रतिनिधि, जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण की पावन सन्निधि में आज प्रेक्षाप्रणेता आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी का 14 वां महाप्रयाण दिवस मनाया गया। प्रातः आचार्य प्रवर ने अंकलेश्वर से मंगल प्रस्थान किया। जैसे–जैसे ज्योतिचरण की सूरत से दूरी घटती जा रही है वैसे–वैसे ही दर्शनार्थ आने वाले श्रद्धालु संख्या भी वृद्धिंगत हो रही है। आज विहार के दौरान आसपास के क्षेत्रों से बढ़ी संख्या में श्रद्धालु पुज्यचरणों में पहुंच रहें थे। आचार्यश्री की अणुव्रत यात्रा मानों जहां–जहां जा रही है अपनी महत्ता का प्रभाव छोड़ती जा रही है। लगभग 09 किमी विहार कर शांतिदूत खरोड़ के पब्लिक स्कूल में प्रवास हेतु पधारे तो सैंकड़ों की तादात में खड़े श्रद्धालुओं ने जय नारों से पूरा वातावरण गुंजायमान कर दिया। आचार्यप्रवर की सन्निधि में तेरापंथ के दशमाचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के महाप्रयाण दिवस भी मनाया गया। कार्यक्रम में आचार्यवर द्वारा बहुश्रुत परिषद के संयोजक रूप में मुख्यमुनि को मनोनीत करने से आज का दिन और महत्वपूर्ण बन गया। इस अवसर पर साध्वीप्रमुखा श्री विश्रुतविभा जी ने आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी में प्रज्ञा का प्रकर्ष बताते हुए उनके व्यक्तित्व को व्याख्यायित किया।
मंगल प्रवचन में आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के प्रति स्वरचित गीत का संगान करते हुए आचार्य प्रवर ने फरमाया – आज वैशाख कृष्ण पक्ष ग्यारस का दिन है। जो आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी से जुड़ा हुआ है। तेरह वर्ष पूर्व आज ही के दिन सरदारशहर में उन्होंने इस वर्तमान जीवन की अंतिम श्वास ली थी। योग की बात की उसी सरदारशहर में उन्होंने संयम जीवन स्वीकार किया था और वहीं उनका अंतिम प्रवास भी हुआ। मानों एक महापुरुष इस दुनिया में हमें राह दिखाने आया और एक दिन स्वयं महाप्रस्थान कर दिया। तेरापंथ धर्मसंघ में अभी तक आचार्य रूप में सर्वाधिक आयुष्य काल उनका रहा। वे सामान्य से हटकर आचार्य थे। पूर्व आचार्य की विद्यमानता में आचार्य पद पर पदासीन हुए उसके बाद भी उनमें गुरु के प्रति सदा विनम्रता का भाव देखा जा सकता था।
गुरुदेव ने आगे कहा कि मुझ पर भी उन्होंने बहुत कृपा की, विश्वास किया। युवाचार्य रूप में लगभग तेरह वर्षों तक मुझे उनकी सन्निधि में रहने का मौका मिला। परम पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी गांभीर्य व्यक्तित्व के थे। वे महान चिंतक, विचारक भी थे। प्रेक्षाध्यान, जीवन विज्ञान जैसे कितने महनीय अवदानों में परमपूज्य आचार्य श्री तुलसी के साथ उनकी भूमिका रही। आज के दिन में श्रद्धार्पण अभिव्यक्त करता हूं।
तत्पश्चात कार्यक्रम के दूसरे चरण में आचार्यश्री ने मुख्यमुनि महावीर कुमार को तेरापंथ धर्मसंघ की साधु समुदाय की बहुश्रुत परिषद का संयोजक मनोनीत किया। ज्ञातव्य है की इससे पूर्व आगम मनीषी मुनि श्री महेंद्र कुमार जी इस पद पर थे। उनके देवलोकगमन पश्चात यह स्थान रिक्त था। इस अवसर पर साध्वीवर्या सम्बुद्घयशा जी सहित कई अग्रणी साधु, साध्वियों ने मुख्यमुनि श्री के प्रति मंगलकामना में विचाराभिव्यक्ति दी।
पांच सदस्यीय में मुख्य मुनि महावीर, साध्वी प्रमुखा श्रीजी, साध्वी व्रया जी, शासन श्री साध्वी राजीमती जी, शासन श्री कनक श्रीजी पद पर है, लेकिन बहुश्रुत पद संयोजन रिक्त था, मुनि रविन्द्र कुमार जी भी रहे । में आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी का स्मरण कर मुख्य बहुश्रत पद पर मुख्य मुनि महावीर को इस पद पर मनोनित करता हु ।
मुख्यमुनि ने अपने विचार रखते हुए कहा कि गुरुओं के महान उपकारों से कभी उऋण नहीं हुआ जा सकता। सारा जीवन समर्पित कर दें तो भी उपकारों से उपकृत नहीं हुआ जा सकता। गुरु के तो एक अंगूठे की रज कण की होड़ हम नहीं कर सकते। आज परमपूज्य गुरुदेव ने जो कृपा की है मैं आशीर्वाद चाहता हूं की स्वयं बहुश्रुत बन कर धर्म संघ की सेवा कर सकूं।
इसके बाद कार्यक्रम में बहिर्विहार से समागत साध्वी श्री लब्धिश्री जी, मुमुक्षु तन्मय ने अपने विचार रखे। प्रेक्षाध्यान परिवार सूरत, किशोर मंडल, ज्ञानशाला सूरत के ज्ञानार्थियों ने प्रस्तुति दी।