नई दिल्ली:टाटा संस द्वारा सरकार से एयर इंडिया का नियंत्रण लेने के दो महीने बाद अब एयर इंडिया को इंटरनेशनल ट्रैफिक राइट्स के आवंटन में प्राथमिकता नहीं मिलेगी। इसको लेकर DGCA ने दिशानिर्देश में संशोधन किया है।
DGCA ने 19 अप्रैल को अपने संशोधित दिशानिर्देश में पूर्व राज्य के स्वामित्व वाली एयरलाइन को अलग से फायदा देने वाले सेगमेंट को हटा दिया गया है। यह सेगमेंट अनुसूचित अंतर्राष्ट्रीय हवाई परिवहन सेवाओं के संचालन के लिए भारतीय एयर ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग को अनुमति प्रदान करने के लिए दिशा-निर्देशों का हिस्सा था, जो 15 मार्च, 2017 को जारी किया गया था।
बता दें कि पहले के नियम में कहा गया था कि “अन्य पात्र आवेदकों को यातायात अधिकार आवंटित करने से पहले एयर इंडिया द्वारा प्रस्तुत परिचालन योजनाओं पर उचित विचार किया जाएगा।” हालांकि, अब एयर इंडिया के निजीकरण के दो महीने बाद इस क्लॉज को हटा दिया गया है। डीजीसीआई के नए निर्देश के मुताबिक सभी एयरलाइंस अब समान स्तर पर होंगी। प्राइवेट एयरलाइंन कंपनियों ने इसे एक सकारात्मक कदम बताया है।
सरकारें एक दूसरे के साथ द्विपक्षीय हवाई सेवा समझौतों पर बातचीत करती हैं। ये उन उड़ानों और गंतव्यों की संख्या निर्धारित करते हैं जो एयरलाइंस दो देशों के बीच काम कर सकती है। भारत में सरकार के पास इसकी हकदारी होती है और इसे अनुरोध पर एयरलाइन को दी जाती है। भारत ने 121 देशों के साथ हवाई सेवा समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने दुबई, अबू धाबी, शारजाह और रास अल-खैमाह के साथ अलग-अलग समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, हालांकि वे संयुक्त अरब अमीरात का हिस्सा हैं।
महामारी से पहले भारत लगभग 55 देशों के साथ नॉन स्टॉप उड़ानों से जुड़ा था। मार्च के अंत से लागू हुए समर शेड्यूल में यह संख्या और कम हो गई है।
टाटा संस ने इसी साल जनवरी में सरकार से एयर इंडिया का नियंत्रण ले लिया था। यह भारत की पहली एयरलाइन कंपनी है, जिसकी शुरूआत 1932 में टाटा ग्रुप ने ही किया था। लगभग 70 साल पहले इसका राष्ट्रीयकरण किया गया था। हालांकि, घाटे में होने के चलते बाद में इसे प्राइवेटाइज कर दिया गया।