नई दिल्ली:वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है। इस साल वरुथिनी एकादशी पर त्रिपुष्कर योग बन रहा है। ज्योतिष के अनुसार, इस शुभ योग में किए गए कार्यों का फल तीन गुना मिला है। मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने से कष्टों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति को अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को वरुथिनी एकादशी व्रत के महत्व के बारे में बताया था। जानें वरुथिनी एकादशी पर बनने वाले त्रिपुष्कर योग का महत्व व शुभ मुहूर्त-
कब बनता है त्रिपुष्कर योग-
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, जब मंगलवार, शनिवार या रविवार के दिन द्वादशी, सप्तमी या द्वितीया तिथि होती है और उस समय कृत्तिका, पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराषाढ़ या उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र होता है, तो त्रिपुष्कर योग होता है। इस योग में किए गए कार्यों का फल तीन गुना मिलता है।
वरुथिनी एकादशी व्रत के दिन त्रिपुष्कर योग 26 अप्रैल को देर रात 12 बजकर 47 मिनट से शुरू हो रहा है, जो अगले दिन 27 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। 27 अप्रैल को सूर्योदय पूर्व तक एकादशी तिथि मान्य होगी।
वरुथिनी एकादशी 2022 शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख कृष्ण वरुथिनी एकादशी 25 अप्रैल, सोमवार को देर रात 01 बजकर 37 मिनट पर शुरू होगी और 26 अप्रैल, मंगलवार को देर रात 12 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी। हिंदू धर्म में व्रत उदयातिथि में रखने का विधान है। ऐसे में वरुथिनी एकादशी व्रत 26 अप्रैल को रखा जाएगा।
वरुथिनी एकादशी के दिन बन रहा ब्रह्म योग-
वरुथिनी एकादशी के दिन ब्रह्म योग सुबह से लग रहा है, जो कि शाम 07 बजकर 06 मिनट तक रहेगा। ऐसे में दिन का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।
व्रत पारण का समय-
वरुथिनी एकादशी व्रत पारण का समय 27 अप्रैल, बुधवार को सुबह 06 बजकर 41 मिनट से सुबह 08 बजकर 22 मिनट तक के बीच रहेगा। व्रत पारण के समय ध्यान रखें कि द्वादशी तिथि का समापन न हो।