इस्लामाबाद:कश्मीर को लेकर पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। भारत के बार-बार समझाने और सच का सामना कराने के बावजूद वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर को लेकर दुष्प्रचार में जुटा है। मंगलवार से शुरू हुई दो दिवसीय इस्लामी सहयोग संगठन (ओआइसी) की बैठक में भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कश्मीर का राग अलापा और कहा कि 57 सदस्यीय समूह में एकता नहीं होने से हम कश्मीर पर कुछ नहीं कर पाए।
इमरान खान ने यह मुद्दा ऐसे समय में उठाया है, जबकि प्रधानमंत्री के तौर पर खुद उनकी कुर्सी दांव पर लगी है। उनके खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर 25 मार्च को मतदान होना है और अभी जो हालात बन रहे हैं, उसमें उनका जाना लगभग तय है।
यहां संसद भवन में ओआइसी के विदेश मंत्रियों की 48वीं परिषद में उद्घाटन भाषण में खान ने कहा, ‘हम कश्मीर और फलस्तीन दोनों जगह के लोगों की मदद करने में नाकाम रहे। हम 1.5 अरब हैं, लेकिन विभाजित हैं और वे (भारत और इजरायल) यह जानते हैं। वे हमें गंभीरता से नहीं लेते।’
भारत कश्मीर को लेकर पाकिस्तान से अपना दुष्प्रचार बंद करने को कई बार कह चुका है। भारत का साफ कहना है कि कश्मीर उसका अभिन्न अंग था, है और रहेगा। अनुच्छेद 370 को खत्म करने का मुद्दा भी पाकिस्तान द्वारा उठाए जाने पर भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से साफ कहा था कि यह उसका आंतरिक मुद्दा है और किसी दूसरे देश को इस पर बोलने का अधिकार नहीं है।
ओआइसी की बैठक में खान ने एक बार फिर अनुच्छेद 370 का मुद्दा उठाया और कहा कि इस को लेकर कुछ भी नहीं हुआ क्योंकि भारत पर कोई दबाव नहीं पड़ा। खान ने कहा कि वह यह नहीं कह रहे हैं कि मुस्लिम देश अपनी विदेश नीति बदल दें, लेकिन जब तक हम एक नहीं होंगे इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी। इससे पहले पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी बैठक में कश्मीर का राग अलापा था।
फलस्तीन और कश्मीर का राग अलापने वाले खान ने चीन द्वारा किए जा रहे उइगर मुस्लिमों के उत्पीड़न का जिक्र तक नहीं किया। बैठक में विशेष अतिथि के तौर पर चीन के विदेश मंत्री वांग यी भी मौजूद थे।
पाकिस्तानी पीएम ने कहा कि वह पश्चिमी देशों में रहे हैं और उनकी सभ्यता के बारे में दूसरे से ज्यादा जानते हैं। अमेरिका में 9/11 आतंकी हमले के बाद इस्लामोफोबिया की जो अवधारणा पूरी दुनिया में बनी है उसके लिए मुस्लिम देश ही जिम्मेदार है। इसे दूर करने के लिए उन्होंने कुछ नहीं किया। पश्चिमी देश जब इस्लाम की तुलना आतंकवाद से करते हैं तो वे उदार और कट्टर मुसलमान के बीच अंतर कैसे कर सकते हैं। इस अवधारण के चलते ही न्यूजीलैंड में एक व्यक्ति मस्जिद में घुस जाता है और जो सामने आता है उसे मार डालता है।
ओआइसी के 57 सदस्यीय देशों की तरफ से 46 विदेश मंत्री बैठक में शामिल हुए। अफगानिस्तान समेत 11 देशों ने अपने विदेश मंत्रियों की जगह अधिकारियों को बैठक में भेजा। पिछले साल दिसंबर में अफगानिस्तान पर इस्लामाबाद में आयोजित विशेष सत्र में शामिल होने के लिए तालिबान सरकार में विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी आए थे, लेकिन उनका स्वागत ढंग से नहीं हुआ था, शायद इसीलिए इस बार अफगानिस्तान ने उनकी जगह विदेश मंत्रालय के अधिकारी को भेजा है।