नई दिल्ली:पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने शनिवार को समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने को लेकर केंद्र सरकार को आगाह किया है। उन्होंने कहा कि इसका असर सभी धर्मों पर पड़ेगा। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि यूसीसी को लागू करना “अनुच्छेद 370 को रद्द करने जितना आसान” नहीं होगा।
डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष आजाद ने कहा, ‘‘यूसीसी को लागू करने का सवाल ही नहीं है। यह अनुच्छेद-370 को निरस्त करने जितना आसान नहीं है। सभी धर्म इसमें शामिल हैं। सिर्फ मुसलमान ही नहीं, बल्कि सिख, ईसाई, आदिवासी, जैन और पारसी, इन सभी लोगों को नाराज करना किसी भी सरकार के लिए अच्छा नहीं होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मैं सरकार को सलाह देता हूं कि वह यह कदम उठाने के बारे में सोचे भी नहीं।’’
यूसीसी के मुद्दे पर सरकार से बातचीत के लिए सिख संगठन ने 11 सदस्यीय दल गठित किया
दिल्ली में आयोजित एक राष्ट्रीय सिख समागम के दौरान समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के मुद्दे पर सरकार के साथ बातचीत के लिए शुक्रवार को 11 सदस्यीय दल गठित किया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सिखों के अधिकारों और प्रथाओं से छेड़छाड़ न हो। एक पदाधिकारी ने यह जानकारी दी।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (डीएसजीएमसी) के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका ने कहा कि केंद्र सरकार ने अभी यूसीसी का मसौदा जारी नहीं किया है, इसलिए ‘‘इस तरह का कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि इसका समर्थन किया जाए या विरोध किया जाए।’’ समिति ने एक बयान में कालका के हवाले से कहा कि समागम में यह फैसला किया गया कि मसौदे को देखे बिना, इसका विरोध करना उचित नहीं है।
विधि आयोग ने यूसीसी मुद्दे पर फर्जी व्हाट्सऐप संदेशों, कॉल के प्रति लोगों को सावधान किया
इस बीच विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर उसके नाम पर भेजे जाने वाले फर्जी व्हाट्सएप संदेशों और फोन कॉल के प्रति शुक्रवार को लोगों को आगाह किया। आयोग ने लोगों से ‘सावधानी बरतने’ और सटीक जानकारी के लिए इसकी वेबसाइट सहित आधिकारिक स्रोतों पर भरोसा करने का आग्रह किया। आयोग ने अपने अस्वीकरण में यूसीसी से संबंधित प्रसारित किए जा रहे “कुछ व्हाट्सएप टेक्स्ट, कॉल और संदेशों” का उल्लेख किया।
इसने कहा है, ‘‘यह संज्ञान में आया है कि लोगों के बीच कुछ फोन नंबर घूम रहे हैं, जिन्हें गलत तरीके से भारत के विधि आयोग के साथ जोड़ा जा रहा है। यह स्पष्ट किया जाता है कि विधि आयोग का इन सामग्रियों, कॉल या संदेशों से कोई लेना-देना नहीं है, और यह (आयोग) इसकी जिम्मेदारी नहीं लेता या समर्थन नहीं करता है।’’