नई दिल्ली:ज्यादातर माता-पिता की शिकायत रहती है कि उनका छोटा सा 2 साल का लाडला या लाडली मोबाइल बहुत देखता है। दिनभर कार्टून देखता रहता है और बंद कर दे तो रोने लगता है। छोटे बच्चों के इस तरह से मोबाइल का लत लग जाने से पैरेंट्स परेशान रहते हैं और कई सारे जतन करने की कोशिश करते हैं। लेकिन बच्चों के इस मोबाइल एडिक्शन के पीछे काफी हद तक पैरेंट्स ही जिम्मेदार होते हैं। आइए जानें कैसे।
काम पूरा करने के लिए बच्चे को मोबाइल देना
आजकल लोग सिंगल फैमिली में रहते हैं। ऐसे में घर की महिलाओं के लिए घर के सारे काम बच्चे के साथ करना मुश्किल हो जाता है। अक्सर माता-पिता घर के कामों को निपटाने के लिए बच्चे के हाथ में मोबाइल दे देते हैं। और खुद घर के कामों में लग जाते हैं। इससे बच्चा मोबाइल देखने में बिजी हो जाता है।
रोना चुप कराने के लिए
बच्चा अगर रोने लगा तो उसकी तकलीफ समझकर उसे बहलाकर, खिलाकर चुप कराने की बजाय पैरेंट्स अधिकतर हाथ में मोबाइल दे देते हैं। ऐसे में बच्चों को मोबाइल देखने की आदत लगना स्वाभाविक है। और कई बार तो बच्चे रोते ही मोबाइल देखने के लिए हैं।
बच्चे के सामने मोबाइल चलाना
पैरेंट्स अगर बच्चे के सामने मोबाइल चलाएंगे और देखेंगे तो बच्चे को उसमे इंट्रेस्ट आता है। बच्चा वहीं काम करना चाहता है जो उसके माता-पिता करते हैं। ऐसे में बच्चे के सामने मोबाइल चलाने से बचें।
ऐसे बचाएं मोबाइल फोन की आदत सें
-बच्चे को मोबाइल फोन की आदत से बचाना है तो खुद मोबाइल को ना चलाएं।
-बच्चे ने मोबाइल हाथ में ले लिया है तो नेट फौरन बंद कर दें। जिससे बच्चा फोन से बोर होकर वापस कर देगा।
-बच्चा जब रोने लगे तो उसे खिलौने देकर या फिर बाहर घुमाकर चुप कराएं। इससे बच्चे को आउटडोर गेमिंग की आदत पड़ेगी।
-बच्चे को मोबाइल देकर काम करने की बजाय उसे अपने आसपास कुछ खिलौने देकर बैठाएं और खेलकर, गाना गाकर बहलाएं। इससे बच्चा आपके पास रहेगा और उसे मोबाइल देखने की लत भी नहीं लगेगी।