जयपुर: छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में टिकट देने में बीजेपी भले ही कांग्रेस के आगे निकल गई हो लेकिन राजस्थान में कांग्रेस बीजेपी से आगे निकलने की तैयारी में है। बीजेपी के हैट्रिक वाली सीटों पर कांग्रेस पहले टिकट घोषित कर देगी। टिकट लगभग फाइनल हो गए है। सितंबर के पहले सप्ताह में करीब 40-50 प्रत्याशियों की सूची आने की संभावना है। चर्चा है कि विधानसभा चुनाव जीतने के लिए इस बार कांग्रेस दो बार हारे उम्मीदवारों पर भी दांव लगाएगी। पिछली बार ऐसे दावेदारों के टिकट काट दिए गए थे। पार्टी सूत्रों के मुताबिक जिन सीटों पर बीजेपी लगातार चुनाव जीत रही है, वहां एंटी-इनकम्बेंसी का फायदा उठाने के लिए भी कांग्रेस सबसे पहले टिकट डिक्लेयर करेगी। पहली लिस्ट में नए जिलों से दावेदारी जताने वालों का भी खास ध्यान रखा जाएगा।
बीजेपी की हैट्रिक वाली सीटों पर फोकस
सियासी जानकारों का कहना है कि कांग्रेस बीजेपी विधायकों की एंटी इनकम्बेंसी का फायदा उठाना चाहती है। ऐसे में माना जा रहा है कि जहां बीजेपी पिछले 3 बार से चुनाव जीत रही है। वहां प्रत्याशी पहले घोषित किए जाएंगे। कांग्रेस का मानना है कि इन सीटों पर लगातार बीजेपी की जीत से पार्टी को लेकर एंटी इनकम्बेंसी है। खासतौर से 2008 और 2018 में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद इन सीटों पर बीजेपी प्रत्याशी जीते हैं। ऐसे में यहां पर कांग्रेस को इस बार बढ़त मिल सकती है। प्रदेश में 28 सीटें हैं, जहां पर भाजपा पिछले तीनों चुनाव जीत रही है। इनमें राजसमंद, आसींद, भीलवाड़ा, बूंदी, कोटा साउथ, लाडपुरा, रामगंजमंडी, झालरापाटन, खानपुर, बीकानेर ईस्ट, रतनगढ़, फुलेरा, विद्याधरनगर, मालवीयनगर, सांगानेर, अलवर शहर, अजमेर नोर्थ, अजमेर साउथ, ब्यावर, नागौर, सोजत, पाली, बाली, सूरसागर, सिवाना, भीनमाल, रेवदर और उदयपुर शहर सीट शामिल हैं। इन सीटों पर कांग्रेस जल्दी ही टिकट देने की तैयारी में है। इसके अलावा कुछ सीटें वो भी हैं, जहां निर्दलीय या अन्य पार्टियों के प्रत्याशी चुनाव जीत रहे मगर कांग्रेस वहां नहीं जीत रही।
हारे हुए उम्मीदवारों पर भी दांव
सियासी जानकारों का कहना है कि वर्ष 2018 के चुनाव में 13 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। जिनमें ज्यादातर कांग्रेस बैकग्राउंड से ही थे। लगातार हार के चलते इनका टिकट कट गया था। मगर वे निर्दलीय या किसी अन्य पार्टी से लड़े और चुनाव जीत गए। यही वजह है कि पार्टी दो बार लगातार हारने वालों को टिकट नहीं जैसा कोई भी क्राइटेरिया नहीं रखना चाहती।सियासी जानकारों का कहना है कि पहली लिस्ट में उन सीटों पर भी फोकस है, जहां पार्टी के पास प्रत्याशी के रूप में ज्यादा विकल्प नहीं है। यानी वहां पार्टी की सेकेंड लाइन खड़ी नहीं हो पाई है। ये वो सीटें हैं, जहां कांग्रेस खुद को मजबूत भी मान रही है और कमजोर भी। वहां पर उस सीट के चर्चित चेहरे के साथ पार्टी जा सकती है।