जयपुर:राजस्थान कांग्रेस में प्रत्याशी फाइनल करने पर तेजी से मंथन चल रहा है। सत्ता विरोधी लहर से बचने के लिए पार्टी इस बार नए चेहरों पर दांव लगाएगी। करीब 70 विधायकों के टिकट पर तलवार लटकी है। माना जा रहा है कि इस महीने के अंत तक प्रत्याशियों की पहली लिस्ट आ जाएगी। प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने ऐसे संकेत दिए है कि टिकट का फाॅर्मूला सिर्फ जिताऊ और टिकाऊ होगा। एंटीइनकमबेंसी से निपटने के लिए पार्टी इस बार 60-70 विधायकों को टिकट काट सकती है। पार्टी ने अपने स्तर पर सर्वे कराए है। जिन विधायकों की रिपोर्ट ठीक नहीं है। उन्हें टिकट नहीं दिया जाएगा। सीएम गहलोत भी इस बार टिकट फाइनल करने में बेहद सख्ती बरतने के बात कह चुके हैं। हालांकि, सीएम गहलोत का यह भी कहना है कि जिन विधायकों ने उनकी सरकार गिरने से बचाई उनके प्रति पार्टी को उदार रवैया अपनाना चाहिए। मतलब साफ गहलोत सरकार बचाने वाले विधायकों को टिकट देने की पैरवी कर सकते हैं। दूसरी तरफ प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने साफ कह दिया है कि अगर नेता अपनी तरफ ही देखते रहेंगे तो वर्कर कांग्रेस पार्टी के लिए क्यों लड़ेगा? कांग्रेस कार्यकर्ता तभी पार्टी के लिए लड़ेगा जब उसे लगेगा कि मेरा भी पार्टी में भविष्य है।
सत्ता विरोधी लहर का निकाला तोड़ा?
दरअसल, कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है विधायक जहां क्षेत्र में समय नहीं दे पाए या लोगों के सुख-दुख से दूर रहे है। ऐसे विधानसभा क्षेत्रों में नए प्रत्याशियों को उतारा जाए। इससे लोगों की नाराजगी दूर होगी बल्कि एंटीइनकमबेंसी जैसी स्थितियां भी खत्म हो जाएंगी। कांग्रेस इस बार भी वही तरीका अपनाएगी। इस बार भी पार्टी के अभी तक के सर्वे और खुफिया रिपोर्ट में करीब 70 के लगभग विधायकों को हारने वालों की श्रेणी में रखा गया है। पार्टी नेताओं का दावा है कि ऐसे सभी कमजोर प्रत्याशियों को पार्टी बदल देगी । उन हालात में भीतरघात या बागी जैसे हालात न बने। सूत्रों के अनुसार पार्टी कई हारी हुई सीटों पर नए चेहरों को उतारने के साथ कई विधायकों के टिकट भी काट सकती है।
इस बार टिकट की दो धुरी
राजस्थान में टिकट वितरण में हमेशा सीएम अशोक गहलोत की ज्यादा चलती है। लेकिन इस बार दो धुरी है। सचिन पायलट की भी दखलअंदाजी रहेगी। ऐसे में माना जा रहा है कि सचिन पायलट कभी नहीं चाहेंगे कि उनके समर्थक विधायकों के टिकट कटे। सियासी जानकारों का कहना है कि पायलट समर्थक अधिकांश विधायक पहली बार ही विधायक का चुनाव जीते है। सत्ता विरोधी लहर का सामना दोनों ही नेताओं के विधायकों का सामना करना पड़ रहा है। राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने साफ तौर पर कहा कि बाप मंत्री, बेटा-बेटी अध्यक्ष, उसी परिवार के दूसरे सदस्य अन्य पद पर हैं। अगर एक ही आदमी सब पद ले लेगा तो फिर यह यूथ कांग्रेस का कार्यकर्ता कहां जाएगा? अगर नेता अपनी तरफ ही देखते रहेंगे तो वर्कर कांग्रेस पार्टी के लिए क्यों लड़ेगा? कांग्रेस कार्यकर्ता तभी पार्टी के लिए लड़ेगा जब उसे लगेगा कि मेरा भी पार्टी में भविष्य है।