जयपुर:राजस्थान की गहलोत सरकार ने राजस्थान एससी-एसटी विकास निधि विधेयक विधानसभा में पारित कर दिया है। इस बिल में एससी-एसटी के विकास के लिए अलग से फंड का प्रावधान करने के साथ ही गारंटेड रूप से लागू करे का प्रावधान किया गया है। अब एससी-एसटी की आबादी तक विकास की योजनाओं का लाभ पहुंचाना कानूनी रूप से जरूरी हो जाएगा। हालांकि, भाजपों विधायकों का कहना है कि योजनाओं का लाभ नहीं पहुंचाने पर अफसरों को दंड देने का प्रावधान नहीं किया गया है। भाजपा ने इस बिल को लंगड़ा लूला बताया है।
संसदीय कार्य मंत्री ने सदन में पेश किया बिल
संसदीय कार्य मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने विधेयक को चर्चा के लिए सदन में प्रस्तुत किया। विधेयक पर सदन में हुई चर्चा के बाद विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों पर प्रकाश डालते हुए संसदीय कार्य मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 46 के अनुसार राज्य अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों की विशेष सावधानी से अभिवृद्धि करेगा तथा सामाजिक अन्याय और सभी प्रकार के शोषण से उनकी संरक्षा करेगा। उन्होंने कहा कि पांचवीं पंचवर्षीय योजना में अनुसूचित जनजातियों (अजजा) के लिए जनजाति उप-योजना और छठी पंचवर्षीय योजना में अनुसूचित जातियों (अजा) के लिए अनुसूचित जाति उप-योजना बनाई गई है, ताकि इन वर्गों को योजनाओं के फायदों और परिव्ययों का यथोचित अंश दिया जा सके। इसी के अनुसार अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या के अनुपात में राज्य के बजट में उपबंध रखे जाते हैं।
मंत्री धारीवाल बोले- सरकार करेगी बजट आवंटित
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि राजस्थान में अनुसूचित जाति और जनजाति की जनसंख्या के अनुपात से अधिक बजट आवंटित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य में अनुसूचित जाति की जनसंख्या 17.83 प्रतिशत के मुकाबले 17.87 फीसदी बजट आवंटित किया गया है, जो जनसंख्या से 0.04 प्रतिशत अधिक है। इसी प्रकार प्रदेश में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 13.48 प्रतिशत की तुलना में 14.82 फीसदी बजट आवंटित किया गया है, जो 0.34 प्रतिशत ज्यादा है। उन्होंने कहा कि गत सरकार टीएसपी क्षेत्र का 72.85 प्रतिशत और अनुसूचित जाति-जनजाति का 76.63 प्रतिशत बजट ही खर्च कर सकी थी, जबकि वर्तमान सरकार ने वर्ष 2020-21 में टीएसपी क्षेत्र का 90.70 फीसदी एवं अनुसूचित जाति-जनजाति का 89.74 प्रतिशत बजट व्यय किया है।
प्रभावी मॉनिटरिंग के लिए विभिन्न परिषदें गठित
धारीवाल ने कहा कि इस अधिनियम से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की आबादी वाले क्षेत्रों में समग्र विकास सुनिश्चित करने के साथ उनका आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक विकास हो सकेगा। साथ ही सामाजिक अन्याय एवं अन्य समस्याओं का निराकरण कर समानता प्राप्त करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति विकास निधि (अजाविनि) और अनुसूचित जनजाति विकास निधि (अजजाविनि) के परिव्ययों के रूप में एक कतिपय रकम निश्चित की जायेगी। उन्होंने कहा कि इस विधेयक का प्राथमिक उद्देश्य विकास सूचकों पर अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के समुदायों में अभावों को पूर्ण करना है। उन्होंने कहा कि इसके लिए नीतिगत मामलों पर सलाह देने और क्रियान्वयन की प्रभावी मॉनिटरिंग के लिए विभिन्न परिषदें गठित होगी। साथ ही इसकी वार्षिक रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखी जाएगी।