बुद्ध पूर्णिमा का पर्व वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था और कठिन साधना के बाद बुद्धत्व की प्राप्ति भी हुई थी। इस पर्व को बौद्ध धर्म के साथ-साथ हिंदू धर्म के लोग बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। क्योंकि लोक मान्यताओं के अनुसार बुद्ध भगवान श्री विष्णु के 9वें अवतार थे। बुद्ध पूर्णिमा का पर्व बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे बड़ा उत्सव है। इस दिन भगवान गौतम बुद्ध के अलावा चंद्र देव और भगवान विष्णु की विधि- विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। जानिए बुद्ध पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।
बुद्ध पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
बुद्ध पूर्णिमा प्रारंभ- 15 मई को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से शुरू
बुद्ध पूर्णिमा समाप्त- 16 मई को 9 बजकर 45 मिनट तक
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
मान्यताओं के अनुसार, भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व नेपाल के लुंबिनी नामक स्थान पर हुआ था। 29 साल की उम्र में भौतिक जीवन और परिवार की सभी जिम्मेदारियों से विरक्त होकर सत्य की खोज के लिए निकल गए। जिसके बाद बोधि वृक्ष के नीचे पूरे 49 दिन तक कठोर तपस्या करके ज्ञान की प्राप्ति की। इसी कारण वह बोधिसत्व कहलाए। उन्होंने अपने ज्ञान से संसार को आलोकित किया। भगवान बुद्ध 483 ईसा पूर्व में वैशाख पूर्णिमा के दिन ही पंचतत्व में विलीन हुए थे। इस दिन को परिनिर्वाण दिवस कहा जाता है।
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