नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम मामले पर सुनवाई करते हुए सभी सेक्स वर्कर्स को आधार कार्ड जारी करने का आदेश दिया है। देश की शीर्ष अदालत ने कहा कि देश में पेशेवर गतिविधियों के बावजूद प्रत्येक व्यक्ति को सम्मान के साथ जीने का और सम्मान पाने का पूरा अधिकार है। जस्टिस एल नागेश्वर राव की बेंच ने खास तौर पर ये भी निर्देश दिया कि यौन कर्मियों की गोपनीयता भंग नहीं होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का आदेश यौन कर्मियों को सशक्त बनाने और उन्हें समान अधिकार दिलाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा जारी प्रोफार्मा प्रमाण पत्र के आधार पर यौनकर्मियों को आधार कार्ड जारी किए जाएंगे।
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (एनएसीओ) के राजपत्रित अधिकारी या राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर द्वारा ये दस्तावेज प्रस्तुत किए जाएंगे। कोर्ट ने सख्त हिदायद दी है कि अधिकारियों को अदालत के फैसले को गंभीरता और निष्पक्षता के साथ धरातल पर लागू करना होगा। जानकारों के मुताबिक आधार कार्ड का विचार इसलिए महत्वपूर्ण है ताकि लोगों और यौनकर्मियों के बीच मौजूद खाई को भरा जा सके साथ ही सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ यौन कर्मियों को मिल सके।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे उन यौनकर्मियों की पहचान की प्रक्रिया जारी रखें जिनके पास कोई पहचान प्रमाण नहीं है और जिन्हें राशन से वंचित किया गया है। माना जा रहा है कि यौन कर्मियों के आधार कार्ड बनने से उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने में बड़ी मदद मिलेगी। अभी तक यौन कर्मियों के पास अपनी पहचान स्थापित करने के लिए कोई मान्य दस्तावेज नहीं होते थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यौन कर्मियों का आधार कार्ड होगा और उन्हें वो सभी सुविधाएं मिल सकेंगी जो समाज के पिछले तबके को मिलती है।