नई दिल्ली:प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 30 मार्च को 5वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह सम्मेलन श्रीलंका द्वारा आयोजित किया जा रहा है। इस बात की जानकारी विदेश मंत्रालय ने शनिवार को दी। मंत्रालय के बयान में कहा गया, ‘समिट मीटिंग, जो वर्चुअल मोड में हो रही है, की मेजबानी श्रीलंका द्वारा की जाएगी, जो कि बंगाल की खाड़ी की वर्तमान बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (BIMSTEC) की अध्यक्षता में की जा रही है।’
विदेश मंत्रालय के अनुसार, शिखर सम्मेलन की तैयारियां पहले ही शुरू कर दी जाएंगी, जिसमें BIMSTEC के वरिष्ठ अधिकारियों (SOM) की बैठकें 28 मार्च, 2022 को होंगी, इसके बाद 29 मार्च को बिम्सटेक विदेश मंत्रियों (BMM) की बैठकें होंगी।
क्या है BIMSTEC और क्यों है यह इतना खास
बे ऑफ़ बंगाल इनिशिएटिव फार मल्टी सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-आपरेशन BIMSTEC बंगाल की खाड़ी से सटे हुए और पास के देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है। जिसमें बंगाल की खाड़ी के आसपास के सात सदस्य राज्य शामिल हैं। बिम्सटेक दक्षिण एशिया (बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल और श्रीलंका) के पांच सदस्यों और दक्षिण-पूर्व एशिया (म्यांमार और थाईलैंड) के दो सदस्यों के साथ दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच एक अनूठी कड़ी का गठन करता है। इस संगठन का लक्ष्य आर्थिक विकास, देश की सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने और साझा हितों के मुद्दों पर बातचीत स्थापित करने के लिए अन्य साथी सदस्य देशों के बीच विचार-विमर्श किया जाता है। BIMSTEC की सबसे खास बात यह है कि इस सम्मेलन से कई देशों के बीच अहम मुद्दों पर विचारों का आदान प्रदान किया जाता है।
वहीं COVID-19 महामारी से संबंधित चुनौतियां, और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पैदा हुई ढेरों अनिश्चितताएं जिनका BIMSTEC के सभी सदस्य देश सामना कर रहे हैं,। उनपर बिम्सटेक आर्थिक और तकनीकी सहयोग को तत्कालीन तीव्रता देते हैं।
भारत के लिए खास है बिम्सटेक शिखर सम्मेलन
शिखर सम्मेलन भारत के लिए काफी अहम है, क्योंकि इस सम्मेलन में शामिल होने वाले सभी सदस्य देश भारत के करीबी पड़ोसी हैं। देशों के बीच अपना प्रभाव बढ़ाने की नीति से भी यह सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण है। आपको बता दें कि भारत को दक्षिण एशियाई देशों से भी जोड़ता है।