नई दिल्ली:जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने कश्मीर दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अनुच्छेद 370 पर की गई टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई है और कहा कि अगर अनुच्छेद 370 इतना बुरा था, तो जम्मू-कश्मीर ने अब तक की प्रगति कैसे हासिल की? प्रधानमंत्री ने कहा था कि राज्य की पूर्ववर्ती सरकारों ने केवल वंशवादी शासन को बढ़ावा दिया है। इस पर अब्दुल्ला ने घोर निराशा जताई है। उन्होंने इसे “घिसी-पिटी बयानबाजी” करार दिया है।
फारूक अब्दुल्ला के ताजा बयान ने राज्य में सियासी गठजोड़ की तस्वीर साफ कर दी है। इससे पहले दावा किया जा रहा था कि उनकी पार्टी फिर से बीजेपी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल हो सकती है लेकिन अब अब्दुल्ला के बयान से स्पष्ट हो गया है कि वह बीजेपी से दोस्ती नहीं करने जा रहे हैं। पिछले महीने 15 फरवरी को जब उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी अपने बल-बूते चुनाव लड़ेगी, तब माना गया था कि नेशनल कॉन्फ्रेन्स इंडिया अलायंस से अलग होगा और एनडीए में शामिल होगा।
तब उन्होंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से मुलाकात का भी इशारा दिया था लेकिन महीने भर के अंदर राजनीतिक समीकरण फिर से बदलते नजर आ रहे हैं। मंगलवार को ही अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने घोषणा की है कि पार्टी कश्मीर घाटी की सभी तीन लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि जम्मू और लद्दाख क्षेत्रों की तीन सीटों पर गठबंधन के लिए कांग्रेस के साथ बातचीत कर रही है। दोनों पार्टियां विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन की सदस्य हैं।
नेशनल कॉन्फ्रेन्स की यह घोषणा भाजपा की 195 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट आने के बाद हुई है। भाजपा ने फिलहाल जम्मू-कश्मीर से दो सीटिंग सांसदों (केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह- उधमपुर और जुगल किशोर शर्मा- जम्मू)को टिकट दिया है। पार्टी मुख्यालय में संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद नेशनल कॉन्फ्रेन्स के कश्मीर अध्यक्ष नासिर असलम वानी ने कहा कि पार्टी घाटी में तीन लोकसभा सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। जम्मू कश्मीर में कुल पांच बारामूला, श्रीनगर, अनंतनाग, उधमपुर और जम्मू सीटें हैं, जबकि लद्दाख में एक सीट है।
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लेकर इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख- में विभाजित कर दिया था, जिसके बाद से यह पीएम मोदी की पहली कश्मीर यात्रा थी। फारूक अब्दुल्ला ने वंशवादी राजनीति की आलोचना संबंधी मोदी की टिप्पणियों का जिक्र करते हुए कहा, ”आजादी के बाद से भारत में कोई वंशवादी शासन नहीं रहा है। लोग आपको चुनते हैं। अगर जनता आपको नहीं चाहती है तो आप ऊपर से नहीं आ सकते। मैं एक मुख्यमंत्री होते हुए चुनाव हार गया था क्योंकि उस समय लोगों ने मुझे खारिज कर दिया। तो, वंशवादी शासन कहां है?”