01 जून यानी विश्व दुग्ध दिवस, संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर साल इसे इसी दिन मनाया जाता है. इस दिन को मनाने की मकसद डेयरी या दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में स्थिरता, आजीविक और आर्थिक विकास का योगदान है. दुनियाभर में दूध से पोषित हो रहे लोगों व इससे चलने वाली आजीविका के कारण इस दिन को विशेष महत्व दिया जाता है. इस दिन को मनाने का मकसद दुनियाभर में दूध को वैश्विक भोजन के रूप में मान्यता देना है.
हर साल दुग्ध दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक थीम निर्धारित किया जाता है. इस थीम का मकसद यह होता है कि लोगों तक दूध की पहुंच को आसान बनाया जा सके साथ ही लोगों को दूध के प्रति जागरूक भी किया जा सके. बता दें कि पहले इस दिन को मैराथन, स्कूली गतिविधियों, व कई तरह के प्रोग्राम्स के जरिए इस दिन को मनाया जाता था. साथ ही इसके लिए कई तरह के कैंपेन भी चलाए जाते थे.
साल 2001 में इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई थी. इसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र के विभाग खाद्य औऱ कृषि संगठन द्वारा की गई थी. पिछले साल विश्व दुग्ध दिवस में 72 देशों ने भाग लिया था. इन देशों में लगभग 586 प्रोग्राम्स का आयोजन किया गया था. आपको बता दें कि भारत में 1 जून के विश्व दुग्ध दिवस व 26 नवंबर के राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जाता है. क्योंकि इसी दिन साल 1921 में श्वेत क्रांति के जनक व भारत में दुग्ध उत्पादन के जनक कहे जाने वाले वर्गीज कुरियन का जन्म हुआ था। डेयरी उत्पादन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए 1 जून 2000 से हर साल विश्व दुग्ध दिवस मनाया जा रहा है।
इस वर्ष विश्व दुग्ध दिवस 2022 की थीम “डेयरी क्षेत्र में स्थिरता, साथ ही पर्यावरण, पोषण और सामाजिक आर्थिक सशक्तिकरण” है।
विश्व दुग्ध दिवस का महत्व
विश्व दुग्ध दिवस मनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य लोगों को एक व्यक्ति के जीवन में दूध के महत्व के बारे में जागरूक करना है। यह पहला भोजन है जो बच्चा जन्म के बाद खाता है और शायद जीवन भर सेवन किया जाने वाला भोजन है। वास्तव में, यह किसी भी जीवित प्राणी के लिए पहला भोजन है जिसने दुनिया में जन्म लिया और खिलाया गया। तो, यह बहुत महत्वपूर्ण है। मानव शरीर के लिए आवश्यक अधिकांश पोषक तत्व दूध में मौजूद होते हैं। डेयरी क्षेत्र स्थिरता, आर्थिक विकास, पोषण और आजीविका में योगदान देता है। क्या आप जानते हैं कि डेयरी क्षेत्र दुनिया भर में एक अरब लोगों की आजीविका का समर्थन करता है? इसलिए, विश्व दुग्ध दिवस विभिन्न देशों द्वारा मनाया जाने वाला एक वार्षिक कार्यक्रम है जो लोगों को दूध के सेवन के महत्व के बारे में शिक्षित करता है। दूध में विभिन्न पोषक तत्व होते हैं जो शरीर के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। यह हड्डियों को मजबूत बनाता है और हमें ऊर्जा प्रदान करता है। यह याददाश्त बढ़ाने के लिए भी अच्छा है।
दूध: आयुर्वेदिक नज़रिया
दूध को अमृत समान माना गया है। भारत समेत विश्व के कई देशों में लोग रोजाना दूध पीते हैं। आयुर्वेद में भी दूध के कई गुणों का वर्णन मिलता है। शिशुओं के लिए दूध को सर्वोतम आहार माना गया है। अलग अलग जगहों पर लोग अलग अलग जानवरों के दूध का सेवन करते हैं। जैसे कि गाय, भैंस, बकरी या कहीं कहीं ऊंटनी के दूध का भी उपयोग किया जाता है। भारतीय नस्ल की गाय के दूध को गुणों की दृष्टि से सबसे अच्छा माना गया है।
आमतौर पर सभी प्रकार के दूध का स्वाद प्राकृतिक रूप से मीठा ही होता है। बकरी के दूध को आरोग्य की दृष्टि से सर्वदोषहर कहा गया है, अर्थात इसके सेवन से सभी तरह के दोष ठीक हो जाते हैं। बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए भी दूध बहुत उपयोगी है।
दूध में प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट, विटामिन और मिनरल अधिक मात्रा में होते हैं जो अच्छी सेहत के लिए बहुत ज़रूरी हैं।
आयुर्वेद में दूध को जीवन शक्ति बढ़ाने वाला आहार बताया गया है। उनके अनुसार दूध में बुद्धि, ताकत और धातुओं को बढ़ाने वाला रसायन होता है। दूध में ओज बढ़ाने वाले द्रव्य के सभी गुण पाए जाते हैं। इसके नियमित सेवन से ओज बढ़ता है। इसके अलावा दूध में निम्लिखित गुण होते हैं।
– कब्ज़ दूर करने वाला
– शरीर में स्निग्धता लाने वाला
– गर्भ की स्थापना में सहायक
– घावों को भरने में उपयोगी
– रंग को निखारने वाला
– स्वर में वृद्धि करने वाला
– जलन को शांत करने वाला
इन रोगों में दूध का सेवन करना है फायदेमंद
वैसे तो स्वस्थ रहने के लिए रोजाना दूध का सेवन करना ज़रूरी है। कुछ ऐसी समस्याएं भी हैं जिनसे पीड़ित होने पर दूध का सेवन करने से जल्दी आराम मिलता है। आइये उन बीमारियों पर एक नजर डालते हैं:
– टीबी
– पुराना बुखार
– एसिडिटी
– खाने के बाद पेट में होने वाला दर्द
– कब्ज़
– शुक्र की कमजोरी
– शरीर का सूखना
अगर आप ऊपर बताई गई इन बीमारियों के शिकार हैं तो चिकित्सक की सलाह के अनुसार दूध का सेवन करें।
गाय का दूध
अन्य जानवरों के दूध की तुलना में गाय के दूध को सबसे ज्यादा पौष्टिक माना गया है। वतर्मान समय में भारत में गाय की 40 प्रजातियाँ पायी जाती हैं। गाय के दूध के इन फायदों के कारण ही गावों के अधिकांश घरों में आज भी लोग गाय पालते हैं। जो गायें जंगल में चरती हैं और जड़ी बूटियां व तमाम किस्म की वनस्पतियाँ खाती हैं। उन गायों का दूध सबसे ज्यादा पौष्टिक होता है। आयुर्वेद में इन गायों के दूध को दिव्य अमृत कहा गया है।
गाय का दूध हर उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद है। मां के दूध के बाद गाय के दूध को ही शिशुओं के लिए सबसे लाभकारी आहार बताया गया है।
गाय का दूध इन रोगों में है फायदेमंद
आयुर्वेद के अनुसार गाय का दूध वात और पित्त दोष को शांत करता है। इसमें जीवन शक्ति बढ़ाने वाले और बुढ़ापे में होने वाले रोगों को दूर करने की शक्ति होती है। गाय के दूध के नियमित सेवन से निम्न समस्याओं में लाभ मिलता है।
– थक कर चक्कर आना
– अधिक प्यास
– पुराना बुखार
– शरीर के किसी अंग से रक्तस्राव होना
– मूत्र त्याग में कठिनाई
किस नस्ल की गाय का दूध है ज्यादा फायदेमंद
अक्सर लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि किस नस्ल की गाय का दूध पीना चाहिए। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारतीय नस्ल की गाय के रंग और संतति के अन्तर से भी इसके दूध के गुणों में अन्तर हो जाता है। जैसे-तरुणी (युवा) गाय का दूध मधुर, रसायन और तीनों दोषों को दूर करने वाला है। वहीं वृद्ध गाय का दूध दुर्बल माना गया है। इसी प्रकार काली गाय का दूध वात दोष को दूर करने वाला अधिक गुणकारी हो जाता है, तो पीली गाय का दूध पित्त और वात को दूर करने वाला होता है। जर्सी गायों के दूध को सब से कम गुणकारी माना गया है।
भैंस का दूध
भैंस का दूध गाय के दूध की अपेक्षा अधिक शीतल, चिकना, भारी, वायुकारक और स्रोतों में रुकावट पैदा करने वाला होता है। जिन लोगों की पाचक अग्नि बहुत तीक्ष्ण होती है उनके लिए भैंस का दूध काफी फायदेमंद रहता है। इसके अलावा अनिद्रा के रोगियों के लिए भी गाय का दूध अधिक फायदेमंद होता है।
भैंस का दूध पीने से अच्छी नींद आती है। इसलिए इसे नींद लाने की औषधि के रुप में प्रयोग किया जाता है। भैंस के दूध में गाय के दूध की तुलना में ज्यादा घी पाया जाता है। हालांकि अगर फायदों की बात की जाए तो गाय के दूध से तैयार घी, भैंस के घी से ज्यादा गुणकारी होता है।
भैंस का दूध हड्डियों की मजबूती, दांतों को स्वस्थ रखने और शरीर की ताकत बढ़ाने वाला माना जाता है। यह दूध देरी से पचता है यही वजह है कि शिशुओं को भैंस का दूध पिलाने से मना किया जाता है।
बकरी का दूध
गाय और भैंस के अलावा अपने देश में बकरी का दूध का भी उपयोग किया जाता है। हालांकि गाय और भैंस के दूध की तुलना में बकरी के दूध का कम उपयोग किया जाता है। लेकिन यह दूध आसानी से पच जाता है इसी वजह से रोगियों और शिशुओं के लिए यह खासतौर पर उपयोगी होता है।
बकरी का दूध कसैला और मधुर (मीठा) होता है। इसे अनेक प्रकार के रोगों में लाभकारी माना गया है, जैसे टीबी, बुखार, श्वास, रक्तस्राव, खांसी, शोष, विष नाशक आदि। बकरी का दूध पीने से पाचक अग्नि बढ़ती है। जिन लोगों की पाचक अग्नि मंद होती है उन्हें बकरी का दूध पीने की सलाह दी जाती है।
दूध के सन्दर्भ में विशेष तथ्य
दूध को बिना पानी डाले जितना अधिक पकाया जाता है वह उतना ही अधिक भारी और चिकना होता जाता है। यदि दूध में कुछ पानी डाल कर पानी जलने तक उबाला जाए, तो यह हल्का हो जाता है। आमतौर पर दूध को कफ बढ़ाने वाला आहार माना जाता है लेकिन अगर उबालते समय दूध में पिप्पली, सोंठ (सूखा अदरक), मुलेठी व हल्दी डाल दें तो यह कफकारी नहीं रहता है।
आयुर्वेद के अनुसार जो व्यक्ति सुबह पानी का, दिन में भोजन के बाद छाछ या लस्सी का और रात को सोने से पहले दूध का सेवन करते हैं वे हमेशा निरोग रहते हैं।
कैसा दूध नहीं पीना चाहिए
आयुर्वेद में खासतौर पर पुराने या बासी दूध को पीने से मना किया गया है। बासी दूध को पीने से अपच व पेट से जुड़ी अन्य कई समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा जिस दूध का रंग, स्वाद व गंध बदल गया हो या दूध फट गया हो उस दूध का सेवन कभी नहीं करना चाहिए।
आमतौर पर कच्चा दूध भारी और कफ बढ़ाने वाला माना जाता है और आसानी से पचता नहीं है। इसीलिए दूध को उबालकर पीना चाहिए। बिना उबाले देर तक रखने से दूध खराब हो जाता है और ऐसे दूध का कभी भी सेवन नहीं करना चाहिए।
दूध के साथ क्या ना खाएं
कई ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिन्हें दूध के साथ खाने पर आपको नुकसान झेलने पड़ सकते हैं. आयुर्वेद में इन्हें विरूद्ध आहार कहा जाता है. दूध के विरुद्ध संयोग निम्न है अर्थात दूध के साथ कभी भी निम्नलिखित चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए :
नमक, दही, मछली, मूली या मूली के पत्ते व अन्य कच्चे सलाद, इमली, खरबूजा, नारियल, नींबू व अन्य खट्टे फल, जामुन, अनार, आंवला, कुलथी व उड़द,
विशेष:
गाय का दूध कई औषधीय गुणों से भरपूर है। कई बीमारियों के इलाज में वह रामबाण साबित हो रहा है। इसका सेवन नौनिहालों के लिए भी काफी बेहतर है। डॉक्टरों ने भी इसे अच्छा बताया है। गौदुग्ध को नेत्र ज्योतिवर्धक, बलवर्धक, स्मरण शक्तिवर्धक, रक्तवर्धक, तत्काल वीर्यवर्धक, स्फूर्तिदायक, बाजीकारक होता है। भारतीय गोवंश रक्षण सम्वर्धन परिषद के अनुसार अगर किसी के सिर में दर्द हो तो एक गिलास गाय के दूध में एक इलायची डालकर उबालकर पीने से दर्द गायब हो जाता है। अदरक डालकर गाय का दूध खौलाकर पीने से खांसी ठीक होती है। आंखों में गाय के दूध की पट्टी रखने से आंखों का दर्द बंद होता है। दलिया दूध में पकाकर खाने से प्रसूता को रोग से मुक्ति मिलती है। गौदुग्ध में शहद मिलाकर पीने से पुराने पेट के कीड़े मर जाते हैं और नए कीड़े नहीं होते हैं। बार-बार गर्भपात हो जाने पर भी गौदुग्ध में अश्वगंधा का चूर्ण मिलाकर पीने से लाभ होता है। मधुमेह रोगियों के लिए गाय का दूध इसलिए उपयोगी है कि कोलेस्ट्राल की मात्रा कम होती है। रोगियों को वसारहित दूध अच्छा बताया गया है। सोने से एक घंटे पहले गाय के दूध में एक चम्मच गाय का घी मिलाकर पीना स्वास्थ्यवर्धक बताया है। रक्तविकार वाले रोगियेां के लिए भी यह उपयोगी है। सुबह हल्का गर्म दूध पाचन के लिए उपयोगी बताया गया है। इसके अलावा जीर्ण ज्वर, मानसिक रोग, मूर्छा, शोध, दाह, पांडु रोग, दिल के रोग, शूल, रक्त पित्त, दमा, श्वांस, खांसी, गोला रोग, उदर रोग नाशक, कैंसर और क्षय आदि बीमारियों से बचाने में भी गाय का दूध सहायक बताया गया है।