नई दिल्ली:कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सोमवार को भी राहत नहीं मिली। राउज एवेन्यू कोर्ट ने मुख्यमंत्री की अनियंत्रित शुगर के मद्देनजर निजी चिकित्सक द्वारा परामर्श की मांग को खारिज कर दिया। हालांकि, अदालत ने एम्स निदेशक को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया जो तय करेगा उन्हें इंसुलिन दी जाए या नहीं।
मुख्यमंत्री ने रोज 15 मिनट निजी डॉक्टर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए परामर्श की मांग की थी। विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा की अदालत ने तिहाड़ प्रशासन को एम्स के पैनल की मेडिकल रिपोर्ट आने तक उन्हें घर का खाना उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। इसके अलावा जेल प्रशासन हर दो सप्ताह में केजरीवाल की मेडिकल रिपोर्ट पेश करेगा। केजरीवाल की ओर से अधिवक्ता ऋषिकेश कुमार ने बताया कि कोर्ट ने आवेदन को अस्वीकार कर दिया।
तिहाड़ प्रशासन जवाब नहीं दे पाया
कोर्ट ने कहा, तिहाड़ प्रशासन इस बात का जवाब नहीं दे पाया कि एक अप्रैल को न्यायिक आदेश में बताए गए भोजन के अतिरिक्त केजरीवाल को खाना क्यों दिया गया, जबकि बताए गए डाइट चार्ट में आलू और अरबी जैसी सब्जियां शामिल नहीं थी। कोर्ट ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि केजरीवाल के घर से उनके लिए आम, मिठाई, आलू पूड़ी आदि क्यों भेज रहा है। ईडी और जेल प्रशासन के जवाब में यह भी सामने आया कि केजरीवाल ने कभी इंसुलिन की मांग नहीं की।
जेल में विशेष सुविधाएं नहीं दी जा सकतीं
कोर्ट ने कहा, केजरीवाल को जेल मैनुअल के अतिरिक्त कोई विशेष सुविधाएं नहीं दी जा सकतीं। मुख्यमंत्री और जेल में बंद अन्य कैदी समान हैं। निजी चिकित्सक द्वारा उपचार सुविधा तभी दी जा सकती है जब जेल प्रशासन उपचार कराने में अक्षम हो। जेल में बेहतर ढांचागत सविधाएं मौजूद हैं।
ईडी के समन मामले में 15 मई को सुनवाई
दिल्ली हाईकोर्ट ने धनशोधन मामले की जांच के सिलसिले में ईडी द्वारा मुख्यमंत्री केजरीवाल को जारी समन को चुनौती वाली याचिका पर सुनवाई की। अदालत ने उनकी याचिकाओं पर सुनवाई 15 मई के लिए सूचीबद्ध की है।