रांची। झारखंड में कुछ दिनों पहले ‘नोटों का पहाड़’ मिला था। कैश गिनते-गिनते कई मशीनें गरमा गईं। अब तक ईडी ने 35 करोड़ रुपए से ज्यादा कैश जब्त किए हैं। दरअसल, करीब 32 करोड़ रुपए चंपाई सोरेन सरकार में मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव के नौकर के घर में मिला। ईडी ने नौकर और निजी सचिव को पहले ही गिरफ्तार कर लिया है। कैश कांड के बाद आलमगीर आलम अलग-थलग पड़ गए हैं। वह कांग्रेस या इंडिया गठबंधन के किसी भी प्रोग्राम में नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में उन्हें रविवार को एक और झटका लगा। ईडी ने उन्हें समन भेज दिया है। उन्हें 14 मई को पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
अलग-थलग पड़े आलमगीर
झारखंड की मौजूदा गठबंधन सरकार में दूसरे पोजीशन के नेता और कांग्रेस कोटे के मंत्री आलमगीर आलम इंडिया गठबंधन की तमाम बड़ी जनसभाओं से अलग-थलग देखे जा रहे हैं।छह मई को राजधानी में कांग्रेस प्रत्याशी यशस्विनी सहाय ने नामांकन किया था। नामांकन के बाद हुई जनसभा में आलमगीर आलम दिखे थे। उसके बाद से वे इंडिया गठबंधन की तमाम बड़ी जनसभाओं से अलग-थलग देखे जा रहे हैं। यहां तक कि जब कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी जब 07 मई को सिंहभूम और गुमला में जनसभा को संबोधित करने झारखंड दौरे पर थे, तब भी आलमगीर वहां नदारद थे।
कांग्रेस क्यों बना रही दूरी?
जनसभा में उनकी अनुपस्थिति कई तरह के सवाल को भी खड़ा कर रही थी। दरअसल कांग्रेसी मंत्री की सभी तरह की जनसभा से दूरी पार्टी की एक रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है। लोकसभा चुनाव के ठीक बीचों-बीच इनके करीबियों के यहां ईडी की कार्रवाई और 35 करोड़ रुपए से अधिक की नकदी के बाद इंडिया गठबंधन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने का भाजपा को एक बड़ा मुद्दा मिल गया।
पीएम मोदी ने भी उठाया मुद्दा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने अपनी जनसभा में इस बात को प्रमुखता से उठाया है। माना जा रहा है कि इसे देखते हुए कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के आदेश पर ही इंडिया गठबंधन के तमाम बड़े कार्यक्रमों से आलमगीर आलम को दूर रहने की सलाह दी गई। कांग्रेस या गठबंधन के सभी सहयोगी दल यह नहीं चाहते थे कि चुनावी प्रचार-प्रसार के दौरान भाजपा को उन्हें घेरने का कोई मुद्दा मिले।
इंडिया गठबंधन में शामिल दलों की मिलीजुली प्रतिक्रिया
इंडिया गठबंधन में शामिल दलों की ओर से आलमगीर आलम को लेकर मिलीजुली प्रतिक्रिया मिल रही है। कुछ नेता साफ तौर पर आलमगीर के समर्थन में हैं तो कुछ नेताओं को यह भी कहते सुना जा रहा है कि जांच के आधार पर कार्रवाई होनी चाहिए। हालांकि सूबे की सियासत में भ्रष्टाचार का मुद्दा गरम बना हुआ है। भाजपा के हमलों का इंडिया गठबंधन के नेता जवाब देने की रणनीति बना रहे हैं।