अदालत ने कहा, ‘रिपोर्ट से पता चलता है कि असम में डिटेंशन सेंटर है, जिसे ट्रांजिट कैंप भी कहा जाता है। डिटेंशन सेंटर में घोषित तौर पर 17 विदेशी मौजूद हैं, जिनमें से 4 तो दो साल से यहीं हैं। हमारा मानना है कि केंद्र सरकार को तत्काल इन्हें वापस भेजने के लिए कदम उठाने चाहिए। इन लोगों के खिलाफ किसी अपराध के तहत मुकदमा भी दर्ज नहीं है। सबसे पहले उन 4 लोगों को वापस भेजना चाहिए, जो 2 साल से डिटेंशन सेंटर में हैं।’ अदालत ने कहा कि इस मामले में क्या ऐक्शन लिया गया, इसकी रिपोर्ट दो महीने के अंदर सौंपी जाए।
अब इस केस की अगली सुनवाई कोर्ट ने 26 जुलाई को करने का फैसला लिया है। यह फैसला असम के डिटेंशन सेंटर्स की स्थिति को लेकर दिया गया। असम के इन डिटेंशन सेंटर्स में उन लोगों को रखा जाता है, जिनकी नागरिकता पर संदेह हो या फिर उन्हें ट्राइब्यूनल की ओर से विदेशी घोषित किया गया हो। केस की सुनवाई के दौरान जस्टिस भुइयां ने यह भी पूछा कि आखिर विदेश से आए लोगों को वापस भेजने की क्या प्रक्रिया है। अदालत ने कहा, ‘एक बार ट्राइब्यूनल अपना नतीजा दे देते हैं कि ये लोग विदेशी हैं तो फिर अगला कदम क्या होता है? क्या आपकी पड़ोसी देशों के साथ इसे लेकर कोई समझौता है? यदि उन्हें वापस भेजना है तो यह कैसे होगा? आप उन्हें हमेशा सेंटर में ही नहीं रख सकते।’