श्रीनगर:जम्मू-कश्मीर में जल्द विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं। इलेक्शन कमीशन की ओर से इस तरह के संकेत मिले हैं। आयोग ने कहा कि उसने केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव चिह्न के आवंटन के लिए पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों से आवेदन तत्काल प्रभाव से स्वीकार करने का फैसला किया है। एक अधिकारी ने बताया कि इस बारे में चुनाव चिह्न (सुरक्षित अधिकार व आवंटन) आदेश, 1968 के पैरा 10 बी में जिक्र है। इसके तहत कोई भी रजिस्टर्ड गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल सदन का कार्यकाल समाप्त होने से 6 महीने पहले चुनाव चिह्न के लिए आवेदन कर सकता है।
अधिकारी ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में फिलहाल विधानसभा भंग है। इसलिए निर्वाचन आयोग ने एक बयान जारी कर चुनाव चिह्नों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। उन्होंने कहा कि मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों के पास अपने आरक्षित चिह्न होते हैं। इसलिए पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों को उम्मीदवार उतारने के लिए उन्हें चुनाव चिह्न के लिए आवेदन करना पड़ता है। लोकसभा चुनावों में जम्मू-कश्मीर में मतदाताओं की भागीदारी से मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार उत्साहित हैं। उन्होंने हाल ही में कहा था कि निर्वाचन आयोग बहुत जल्द केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करेगा।
लोकसभा चुनाव में पीडीपी का सबसे खराब प्रदर्शन
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में कभी प्रमुख राजनीतिक ताकत रही पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी अब खुद को प्रदेश में सबसे निचले पायदान पर पाती है। हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में पार्टी एक भी सीट हासिल करने में कामयाब नहीं हो सकी। यहीं नहीं पार्टी कश्मीर के जिलों और पुंछ, राजौरी में 54 विधानसभा क्षेत्रों में से केवल 5 पर ही बढ़त हासिल कर पाई जो अब अनंतनाग संसदीय क्षेत्र का भी हिस्सा है। प्रदेश से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद हुआ पहला चुनाव पीडीपी के संभावित पुनरुद्धार के लिए महत्वपूर्ण था। पिछले 5 वर्षों में पार्टी ने कई प्रमुख नेताओं को पार्टी से बाहर होते देखा है, जिससे इसकी स्थिति काफी कमजोर हुई है।