नई दिल्ली: मोहन (बदला हुआ नाम) बड़ी खुशी-खुशी परीक्षा देकर लौटा था। उसका एग्जाम अच्छा गया था। इस बार उसे NET क्लीयर होने का भरोसा था। लेकिन ये क्या NTA ने एक दिन बाद ही यूजीसी नेट की परीक्षा कैंसिल कर दी। मोहन जैसे कितने ही बच्चों का दिल टूट गया। पेपर लीक की आशंका के बीच सरकार ने UGC-NET 2024 का एग्जाम कैंसिल कर दिया। इस परीक्षा को लेकर मोहन ने जमकर तैयारी की थी। उसे भरोसा ही नहीं हो रहा कि आखिर अचानक क्या हुआ। वो खुद को ठगा सा महसूस कर रहा। उसका बस यही कहना है कि हमारी क्या गलती है…हम तो बड़ी मेहनत से तैयारी करके एग्जाम में शामिल होने पहुंचे थे। अब हमें फिर एग्जाम की तैयारी करनी होगी। इससे भी बड़ी टेंशन ये है कि आगे फिर ऐसा नहीं होगा। हम कैसे परीक्षा की तैयारी में जी-जान से जुटें। आंखों के सामने बस अंधकार ही नजर आ रहा। अकेले मोहन ही नहीं नेट की परीक्षा कैंसिल होने से उसके जैसे हजारों स्टूडेंट्स की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उनके समझ नहीं आ रहा कि आगे क्या करना है।
पेपर लीक और यूजीसी नेट की परीक्षा कैंसिल
नेट परीक्षा कैंसिल होने से इसमें शामिल स्टूडेंट्स के सामने वही पूरा शेड्यूल आंखों के सामने घूम गया। कैसे उन्होंने तैयारी की, कई किलोमीटर की यात्रा करके परीक्षा देने गए। इस दौरान उन्होंने भूख-प्यास की भी परवाह नहीं की। उनका टारगेट बस यही था कि नेट क्लीयर हो जाए। इससे उन्हें एक नई राह मिल जाएगी। हालांकि पेपर लीक और परीक्षा कैंसिल होने से मोहन जैसे हजारों को अपना भविष्य फिर अधर में नजर आ रहा। NEET हो या UGC-NET या फिर कोई और प्रतियोगी परीक्षा, हर छात्र इसी उम्मीद से तैयारी करता है कि एग्जाम में वो अच्छे नंबर लाएगा। खास तौर से मध्यम वर्गीय परिवार के बच्चों को तो इन परीक्षाओं से ज्यादा ही उम्मीदें होती हैं। ऐसा हो भी क्यों नहीं आखिर वो पूरी मेहनत से इस एग्जाम की तैयारी जो करते हैं लेकिन कुछ लोगों की गलती का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ता है। पेपर लीक की आशंका पर सरकार या फिर एग्जाम कराने वाली एजेंसी परीक्षा कैंसिल करने में जरा भी देर नहीं करती। हालांकि, क्या वो उन स्टूडेंट्स के बारे में सोचती है जिनके लिए ये एग्जाम सबकुछ होता है। एक फैसले से इसमें शामिल छात्रों की पूरी मेहनत मानो बेकार चली जाती है।
छात्रों का क्या कसूर
इस तरह अचानक पेपर लीक से केवल मोहन जैसे छात्र ही परेशान नहीं हैं। उन छात्रों के परिजन भी आक्रोशित नजर आ रहे। उनका यही कहना है कि पेपर लीक की समस्या उनके जैसे गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए अभिशाप जैसा है। उनके बच्चे बड़ी मेहनत से परीक्षा की तैयारी करते हैं और जब परीक्षा देकर आते हैं तो पता चलता है पेपर लीक हो गया। इससे बच्चों की मेहनत पर पानी तो फिर ही जाता है। उनका हौसला भी टूट जाता है। सिर्फ बच्चों का हौसला नहीं टूटता उनके जैसे अभिभावकों का भी मनोबल प्रभावित होता है। कई परिजन लोन लेकर बच्चों की पढ़ाई कराते हैं लेकिन मेधावी बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। उन्होंने इसका जिम्मेवार नेताओं और माफियाओं को बताया।
पेपर लीक पर लगाम कब
NEET पेपर लीक मामले में NTA पर जमकर सवाल उठे थे। अभी वो मामला थमा भी नहीं था कि नेट की परीक्षा कैंसिल होने से मोहन जैसे हजारों स्टूडेंट्स की मुश्किलें बढ़ गई हैं। 18 जून को नेट का एग्जाम हुआ था। अगले ही दिन इसे कैंसिल कर दिया गया। यह एग्जाम भी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी NTA कराता है। पेपर लीक के लगातार बढ़ते मामलों को देखकर सवाल यही उठता है कि NTA यानी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी या फिर सरकार किसी एग्जाम फुल प्रूफ तैयारी क्यों नहीं कर सकती। पेपर लीक का वाकई कोई निदान संभव है? कैसे इतनी अहम प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक हो रहे हैं। सरकार और एजेंसी इसे फुलप्रूफ क्यों नहीं कर पा रही?
सरकार और एजेंसी पर उठ रहे सवाल
आखिर पेपर लीक का कोई निदान है भी या नहीं। हर कोई सवाल खड़े कर रहे। एक्सपर्ट्स की मानें तो ऐसे मामलों में सिस्टम का फेल्योर जरूर होता है। इतनी बड़ी परीक्षा में शिक्षा माफिया अकसर ही जुगाड़ में लगे रहते हैं कि कैसे भी पेपर लीक हो सके। अगर नीट परीक्षा का ही उदाहरण लें तो इसमें 23 लाख से अधिक परीक्षार्थी शामिल हुए। देशभर में हजारों परीक्षा केंद्र बनाए गए। इसी दौरान ये माफिया सेंधमारी की कवायद करते हैं और भुगतना पड़ जाता है उन स्टूडेंट्स को जो कड़ी मेहनत से एग्जाम में शामिल होते हैं। उनका टारगेट ही ये परीक्षा करना होता है। अब सोचिए ऐसे खेल में उन छात्रों का क्या कसूर है जो बेचारे रात दिन इस परीक्षा की तैयारी करते हैं। उनकी कोशिश बस इतनी होती है कि एग्जाम क्लीयर हो जाए और वो अपना और अपने परिवार का सहारा बन सकें। लेकिन पेपर लीक और परीक्षा कैंसिल से उनकी मुश्किलें बढ़ जाती हैं।