लखनऊ। उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भी सपा व कांग्रेस ‘इंडिया’ गठबंधन के रूप में मैदान में आने की तैयारी में हैं। दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे पर जल्द बातचीत होने की संभावना है। माना जा रहा है कि कांग्रेस कम से कम तीन सीटों की मांग कर सकती है।
विधानसभा की पांच सीटें तो सपा के कोटे की ही खाली हुई हैं। इनमें चार सीटें सपा विधायकों के लोकसभा सांसद चुने जाने की वजह से रिक्त घोषित हुई हैं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के कन्नौज से सांसद चुने जाने की वजह से करहल, पूर्व मंत्री लालजी वर्मा के अंबेडकरनगर से सांसद चुने जाने की वजह से कटेहरी, पूर्व मंत्री अवधेश प्रसाद के फैजाबाद से सांसद चुने जाने की वजह से मिल्कीपुर सुरक्षित तथा जियाउर्रहमान बर्क के संभल से सांसद चुने जाने की वजह से कुंदरकी विधानसभा सीट रिक्त हुई है। इसी तरह सपा विधायक इरफान सोलंकी की सदस्यता रद्द होने की वजह से कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट रिक्त हो गई है।
एनडीए गठबंधन में शामिल रालोद के विधायक चंदन चौहान के बिजनौर से सांसद चुने जाने की वजह से मीरापुर विधानसभा सीट, भाजपा विधायक अतुल गर्ग के गाजियाबाद से सांसद चुने जाने की वजह से गाजियाबाद विधानसभा सीट, राज्यमंत्री अनूप प्रधान वाल्मिकी के हाथरस से सांसद चुने जाने की वजह से खैर विधानसभा सीट, भाजपा विधायक प्रवीण पटेल के फूलपुर से सांसद चुने जाने की वजह से फूलपुर विधानसभा सीट तथा निषाद पार्टी के विधायक विनोद कुमार बिंद के भदोही से सांसद चुने जाने की वजह से मझवां विधानसभा सीट खाली हुई है।
वर्तमान में यूपी में कांग्रेस के मात्र दो विधायक हैं, जबकि लोकसभा में उसके छह सदस्य चुने गए हैं। छह सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों को बेहद नजदीकी मुकाबले में पराजय मिली है। ऐसे में कांग्रेस चाहती है कि गठबंधन का संदेश 2027 में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव तक बनाए रखने के लिए उपचुनाव में भी दोनों दल मिलकर लड़ें। लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद लोकसभा सीट कांग्रेस के कोटे में थी, जहां कांग्रेस ने डॉली शर्मा को प्रत्याशी बनाया था। ऐसे में गाजियाबाद विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस दावा कर सकती है। इसी तरह दो अन्य सीटों की मांग पश्चिमी यूपी में की जा सकती है, जो फिलहाल भाजपा या रालोद के पास थीं।