नई दिल्ली। संसद सत्र के दूसरे दिन ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सियासी पारा हाई हो गया। ये सियासी पारा लोकसभा के स्पीकर के चुनाव को लेकर हुआ। सरकार ने एनडीए की ओर से ओम बिरला को लोकसभा के स्पीकर के नाम की घोषणा की। विपक्ष ने भी INDIA ब्लॉक की ओर से के. कोडिकुन्निल सुरेश को लोकसभा स्पीकर बनाए जाने की शर्त रख दी। कांग्रेस नेताओं की मौजूदगी में के. सुरेश ने नामांकन भी दाखिल कर दिया। आजादी के बाद से लोकसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव सत्ता पक्ष और विपक्ष की सहमति से होता रहा है।
इसके पहले इन सत्रों में हुआ लोकसभा स्पीकर का चुनाव
विपक्ष की ओर से 8 बार के सांसद के. सुरेश का नाम आ जाने के बाद लोकसभा स्पीकर के चुनाव की लड़ाई अब काफी दिलचस्प हो गई है। लोकसभा के स्पीकर का चुनाव बुधवार को होना है। यहां ये जानना बेहद जरूरी है कि 72 साल में ये तीसरी बार ऐसा मौका है, जब सदन में स्पीकर को लेकर चुनाव होने जा रहा है। इसके पहले साल 1952 और 1976 में स्पीकर को लेकर चुनाव हुआ था।
पहली बार केरल की अदूर सीट से चुनाव जीत कर पहुंचे दिल्ली
आखिर के. सुरेश कौन हैं? लोकसभा स्पीकर के रूप में अचानक से उनका नाम आ जाने से सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा होने लगी है। के. सुरेश पहली बार 1989 में केरल की अदूर लोकसभा सीट से चुनाव जीत कर दिल्ली की संसद पहुंचे थे। उसके बाद उन्होंने लगातार 1991, 1996 और 1999 के आम चुनावों में अदूर लोकसभा सीट से चार बार चुनाव जीते।
8 बार के सांसद केरल कांग्रेस के अध्यक्ष भी
2024 के को लोकसभा चुनाव में वह केरल मवेलिककारा सीट से चुनाव जीते हैं। इस तरह वह आठ बार चुनाव जीत कर संसद पहुंचने वाले एक मात्र नेता हैं। 8 बार के सांसद के साथ ही के. सुरेश केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं। वह 17वीं लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के मुख्य सचेतक भी थे ।