अमेरिका इन दिनों अंतरिक्ष में जूझ रहा है, वहीं चीन ने कामयाबी के नए झंडे गाड़ दिए हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर एक तरह से फंस गए हैं, तो दूसरी ओर, चीन चांद से मिट्टी लाने में कामयाब हो गया है। अंतरिक्ष स्टेशन को करीब 25 साल हो चुके हैं, अमेरिका, रूस, जापान, कनाडा, यूरोप के संयुक्त प्रयास से स्थापित अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर अब तक 270 से ज्यादा अंतरिक्ष यात्री जा चुके हैं, पर ऐसा पहली बार हुआ है कि अमेरिकी बोइंग स्टारलाइनर परियोजना का यान वहां एक तरह से फंस गया है। स्टेशन पर पहुंचने से पहले ही यान में हीलियम का रिसाव और थ्रस्टर में खराबी आ गई थी। यान को 14 जून को वापसी यात्रा करनी थी, पर अभी तक वह लौटा नहीं है और आशंका है कि इसे लौटने में 90 दिन तक लग सकते हैं। इतने दिनों में वैज्ञानिक यह कोशिश करेंगे कि यान की खराबी को दूर किया जा सके। अभी नासा यान की पृथ्वी पर वापसी की सटीक तारीख की कोई घोषणा नहीं कर पा रहा है।
कुल मिलाकर, यही कहा जा सकता है कि अंतरिक्ष में फंसी भारतीय मूल की अमेरिकी सुनीता विलियम्स और अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री बुच विल्मोर को धरती पर लौटने में कुछ महीने लग सकते हैं। नासा के वाणिज्यिक क्रू कार्यक्रम प्रबंधक स्टीव स्टिच ने कहा है कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी स्टारलाइनर की अवधि को 45 से 90 दिनों तक बढ़ाने के बारे में सोच रही है। वास्तव में, नासा किसी तरह का खतरा मोल नहीं लेना चाहता, दो अंतरिक्ष यात्रियों की बहुमूल्य जिंदगी का सवाल है। वैसे, बेहद प्रतिभावान व साहसी सुनीता विलियम्स, सहित दोनों अंतरिक्ष यात्री ज्यादा चिंतित नहीं हैं और निरंतर अपने प्रयोग में लगे हुए हैं। दोनों को घर लौटने की कोई जल्दी नहीं है। यह ध्यान देने की बात है कि अंतरिक्ष स्टेशन जब से बना है, वहां लगातार पांच या सात अंतरिक्ष यात्री रहते आए हैं। नासा के ताजा अभियान पर इसरो की भी नजर टिकी है। इसरो वैज्ञानिक एम अन्नादुराई ने बताया है कि किसी भी अंतरिक्ष कार्यक्रम को पारगमन करते समय यह देखना ही होगा कि अगली उड़ान के लिए सभी सिस्टम तैयार हैं या नहीं। स्टारलाइनर को लॉन्च करते समय भी यह देखा गया था और तब भी कुछ देरी हुई थी। इस बार भी कुछ देरी हो रही है और वैज्ञानिक सुरक्षा के प्रति सुनिश्चित होने के बाद ही उड़ान भरेंगे। वैसे यह ध्यान रखना होगा कि बोइंग का स्टारलाइनर कार्यक्रम वर्षों से सॉफ्टवेयर गड़बड़ियों, डिजाइन संबंधी समस्याओं और उप-ठेकेदार जैसे विवादों से जूझता रहा है।
अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़ी यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या अमेरिका पिछड़ने लगा है। दूसरी ओर, चीन का चांग-ई 6 अंतरिक्ष यान चंद्रमा के सुदूर हिस्से से मिट्टी के नमूने सफलतापूर्वक पृथ्वी पर वापस ले आया है। यह ऐतिहासिक उपलब्धि अंतरिक्ष-अन्वेषण महाशक्ति के रूप में चीन की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं की ओर संकेत करती है। गौरतलब है कि साल 2019 में चीनी यान चांद के सामने की ओर से नमूने लाने में कामयाब रहा था। चीन विज्ञान के क्षेत्र में विश्वसनीयता हासिल करने के प्रयास में लगा है और ठीक वैसी ही प्रतिस्पद्र्धा अमेरिका के साथ कर रहा है, जैसी पांच दशक पहले अमेरिका और सोवियत संघ के बीच होती थी। अगर इस प्रतिस्पद्र्धा का लाभ दुनिया को हो, तो यह बहुत सुखद व स्वागतयोग्य है। वैज्ञानिक सफलताओं की बड़ी जरूरत है, ताकि तरक्की और अमन-चैन को बढ़ावा मिले।