नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने किडनी रैकेट मामले पकड़े गए आरोपियों से कई अहम जानकारियां जुटाई हैं। जांच में पता चला है कि आरोपियों ने किडनी की मांग वाले छह मरीजों की फाइल तैयार कर ली थी, जबकि 20 ऐसे ही संपर्क में थे।
दरअसल, आरोपियों की गिरफ्तारी के दौरान उनके पास से बरामद दस्तावेज में मरीजों से जुड़ी फाइलें भी शामिल थीं। इन फाइलों की जांच से पता चला है कि आरोपियों ने छह मरीजों के फर्जी दस्तावेज पूरे कर लिए थे। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि ऐसे ही 20 मरीजों के संपर्क में थे, जिनके लिए उन्हें डोनर की व्यवस्था करनी थी। ये सभी मरीज बांग्लादेश के थे और वहां के डायलेसिस सेंटर पर जाते थे। गिरोह के सरगना रसेल को डोनर मुहैया कराने वाला इफ्ती मरीजों और उनके परिजनों से संपर्क करता था। इफ्ती और उसके गुर्गों का काम बांग्लादेश के विभिन्न डायलेसिस सेंटर पर पहुंचने वाले मरीजों और उनके परिजनों संपर्क करना, लेकिन छापेमारी के बाद वह अंडरग्राउंड हो गया।
50 फीसदी तक रकम एडवांस ली
यह भी खुलासा हुआ है कि जिन छह मरीजों की आरोपियों ने फाइल तैयार की थी, उनसे एडवांस में रकम ले ली थी। पूरी रकम का लेन-देन होना अभी बाकी था। दरअसल, यह गिरोह रिसीवर के तैयार होने के बाद ही उनके परिजनों से बतौर एडवांस 25 से 50 फीसदी तक रकम ले लेता था। इसके बाद ऑपरेशन की तारीख तय हो जाने के बाद बाकी की रकम लेता था।
आरोपियों ने फर्जी मुहर बनवाई
आरोपियों के कब्जे से प्रमुखों डॉक्टर, नोटरी पब्लिक, वकील समेत अन्य लोगों की मुहर बरामद की हैं। आरोपी मुहर का इस्तेमाल फर्जी दस्तावेज बनाने के लिए करते थे। मौके से अलग-अलग अस्पतालों के नाम के जाली दस्तावेज भी मिले थे। क्राइम ब्रांच तकनीकी टीम से पेन ड्राइव और हार्ड डिस्क की जांच करा रही है।
दिल्ली क्राइम ब्रांच ने नोएडा में फाइलें खंगाली
दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम ने गुरुवार को भी किडनी प्रत्यारोपण से जुड़ी फाइलें खंगाली। टीम ने नोएडा सेक्टर-39 स्थित स्वास्थ्य विभाग के दफ्तर और यथार्थ अस्पताल में आवश्यक जांच-पड़ताल की। अपोलो की जिस महिला डॉक्टर को गिरफ्तार किया गया है, उसने ग्रेटर नोएडा वेस्ट के यथार्थ अस्पताल में भी दो वर्ष में 20 से ज्यादा किडनी प्रत्यारोपण किए थे। संबंधित मरीजों और किडनी दाताओं के कागजातों का सत्यापन स्वास्थ्य विभाग ने किया था। इसे देखते हुए क्राइम ब्रांच की टीम नोएडा में भी जांच कर रही है।