पटना:भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर और गया के पूर्व डीएम अभिषेक सिंह पर विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है। गया डीएम के आवासीय परिसार से कीमती पेड़ों की अवैध तरीके से कटाई और उसे गायब करने के मामले में यह कार्रवाई की गई है। प्राथमिकी में भ्रष्टाचार निरोध अधिनियम की विभिन्न धाराओं के साथ आईपीसी की धारा भी लगी है।
एसवीयू द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में कहा गया है कि अभिषेक सिंह गया के डीएम रहने के दौरान जनवरी 2018 से जनवरी 2022 तक सरकारी आवास में रहे। आधिकारिक हैसियत से आवासीय परिसर में लगे पेड़ भी उनके ही अधिकार क्षेत्र में थे।
आरोप है कि गया में तैनात वन और जेल विभाग के अज्ञात कर्मियों की मिलीभगत से उन्होंने कीमती पेड़ों को कटवाया और उसे गायब कर नाजायज तरीके ने बेचवा दिया। इससे सरकार को राजस्व की काफी क्षति हुई। इस मामले में एसवीयू ने आईएएस अधिकारी के साथ ही वन व जेल विभाग के अज्ञात कर्मियों पर भी प्राथमिकी दर्ज की है।
एफआईआर की सूचना त्रिपुरा सरकार को दी जाएगी
अभिषेक सिंह बिहार में प्रतिनियुक्ति पर आए थे। गया डीएम के पद से हटने के बाद उन्हें बुडको का एमडी बनाया गया था। शुरुआती जांच में प्रथमदृष्टया दोषी पाए जाने के बाद फरवरी में उन्हें बुडको से हटाकर योजना पर्षद में भेज दिया।
इसके कुछ दिन बाद त्रिपुरा के मूल कैडर में योगदान के लिए राज्य सरकार ने उन्हें विरमित कर दिया था। हाल में ही सरकार ने उन पर कार्रवाई के आदेश दिये थे। चूंकि वे त्रिपुरा कैडर के आईएएस अधिकारी हैं, लिहाजा एफआईआर दर्ज करने की जानकारी वहां की राज्य सरकार को एसवीयू की ओर से दी जाएगी।
एसवीयू थाना कांड संख्या 7/2022 दर्ज की गई
गया के पूर्व डीएम अभिषेक सिंह के साथ अज्ञात कर्मियों पर भ्रष्टाचार निरोध अधिनियम की विभिन्न धाराओं के साथ आईपीसी की धारा 120 (बी) के तहत एसवीयू थाना कांड संख्या 7/2022 दर्ज की गई है। इस केस के अनुसंधानकर्ता पदाधिकारी डीएसपी चंद्र भूषण बनाए गए हैं।
आईजी व एसएसपी पर भी हुई थी कार्रवाई
मगध के पूर्व रेंज आईजी अमित लोढ़ा और वहां के एसएसपी रहे आदित्य कुमार पर भी दूसरे मामले में आईएएस अभिषेक सिंह के साथ ही कार्रवाई हुई थी। तीनों को फरवरी में के साथ पद से हटाया गया था। आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही के आदेश दिये गए हैं।