डेस्क:देश की इकोनॉमी को लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने जो कहा है उससे सरकार की टेंशन बढ़ सकती है। आईएमएफ का कहना है कि औद्योगिक गतिविधियों में अपेक्षा से अधिक गिरावट के कारण जीडीपी ग्रोथ में सुस्ती आएगी और और 2026 तक इसके 6.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है। साल 2023 में भारत की वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत थी, जो 2024 में घटकर 6.5 प्रतिशत रह गई।
आईएमएफ ने कहा- भारत में 2025 और 2026 में वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है जैसा कि अक्टूबर 2024 में अनुमान लगाया गया था और यह संभावित वृद्धि के अनुरूप है इसने कहा कि 2023 में भारत की वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रही थी, जो 2024 में गिरकर 6.5 प्रतिशत रह गई। इसके 2025 और 2026 में भी यही रहने का अनुमान है।
वहीं, रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर बनी हुई है। साल 2025 और 2026 में वैश्विक वृद्धि 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो ऐतिहासिक (2000-19) औसत 3.7 प्रतिशत से कम है। साल 2025 के लिए पूर्वानुमान अक्टूबर, 2024 की रिपोर्ट से मोटे तौर पर अपरिवर्तित है। मुख्य रूप से अमेरिका में वृद्धि के कारण अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट होती है।
इसमें कहा गया है कि वैश्विक हेडलाइन मुद्रास्फीति 2025 में घटकर 4.2 प्रतिशत और 2026 में 3.5 प्रतिशत रह जाने की उम्मीद है। यह उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में विकसित अर्थव्यवस्थाओं में पहले लक्ष्य पर पहुंच जाएगी। आईएमएफ की रिपोर्ट अनुसार, वैश्विक वृद्धि दर स्थिर रहने का अनुमान है, हालांकि यह धीमी रहेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका में अंतर्निहित मांग मजबूत बनी हुई है, जो मजबूत धन प्रभाव, कम प्रतिबंधात्मक मौद्रिक नीति रुख और अनुकूल वित्तीय स्थितियों को दर्शाती है। 2025 में वृद्धि दर 2.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गौरींचस ने कहा कि इस वर्ष मुद्रास्फीति में 4.2 प्रतिशत और अगले वर्ष 3.5 प्रतिशत की गिरावट से हाल के वर्षों में हुई वैश्विक उथल-पुथल को कम करने में मदद मिलेगी, जिसमें कोविड महामारी और यूक्रेन पर रूस का आक्रमण भी शामिल है। इनके कारण चार दशकों में मुद्रास्फीति में सबसे बड़ी वृद्धि हुई। चीन में अब अगले वर्ष वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो कि पूर्व पूर्वानुमान से 0.4 प्रतिशत अधिक है।