जयपुर:कांग्रेस में 51 सालों तक रहे गुलाम नबी अब देश की सबसे पुरानी पार्टी से ‘आजाद’ हो गए हैं। उन्होंने अपने इस्तीफे में कई तरह के आरोप लगाए हैं और कहा है कि केंद्रीय नेतृत्व अनुभवहीन चापलूसों से घिरा हुआ है। अब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आजाद पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने कहा है कि ऐसे समय पर जब पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी चेकअप के लिए अमेरिका गई हुई हैं, इस्तीफा देना अमानवीय है। गहलोत ने यह भी कहा कि पिछले 42 सालों में कई पदों पर रहे आजाद भी संजय गांधी के समय में चापलूस ही माने जाते थे।
गहलोत ने सवाल किया कि सोनिया गांधी जब चेकअप के लिए बाहर गई हैं, आजाद ऐसे समय में इस्तीफा देकर क्या संदेश देना चाहते हैं। जयपुर में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए गहलोत ने कहा, ”पहले भी सोनिया बीमार थीं, जब उन्होंने लेटर लिखा। लोगों ने इसे दूसरे रूप में लिया कि जब नेता बीमार है और अस्पताल में भर्ती है क्यों इस तरह का खत लिखा गया। अब जब वह चेकअप के लिए अमेरिका गई हैं, आप क्या संदेश देना चाहते हैं लेटर लिखकर? मैं एक संवदेनशील चीज कह रहा हूं कि हमारी नेता जो 1996 में हमारे दबाव में राजनीति में आईं। जब वह बीमार हैं और चेकअप के लिए दूर हैं, ऐसे सयम में खत लिखना, मेरे हिसाब से मानवीय संवेदनाओं के खिलाफ है।”
गहलोत ने उन्हें अपना दोस्त बताया और कहा कि वह बेहद दुखी हैं। राजस्थान के सीएम ने कहा, ”मैंने आजाद का बयान पढ़ा है। वह 42 सालों से मेरे दोस्त हैं, मुझे बहुत दुख हुआ। मैं इसे शब्दों में नहीं बयां कर सकता। पार्टी ने उन्हें मौके दिए, चाहे वह इंदिरा गांधी हों या संजय गांधी। वे उनकी शादी में भी गए कि नौजवानों को प्रोत्साहित किया जाए। तब से 42 साल तक वह सभी पदों पर रहे, दो बार महाराष्ट्र से सांसद, राज्यसभा सांसद, कांग्रेस ने उन्हें मौके देने में कोई कमी नहीं की।”
वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के कुछ घंटों बाद गहलोत ने यह प्रतिक्रिया दी। आजाद की ओर से कही गई ‘चापलूसों वाली बात’ पर पलटवार करते हुए कहा, ”संजय गांधी के दौर में वह भी चापलूस कहे जाते थे। आज वह दूसरों को चापलूस कह रहे हैं। तब आजाद और दूसरे लोग जो संजय गांधी के साथ थे, चापलूस माने जाते थे। लेकिन संजय गांधी ने ध्यान नहीं दिया तो आजाद इतने बड़े नेता बन गए। यदि संजय गांधी ने उन्हें दबाव में निकाल दिया होता, जैसा वह राहुल गांधी से उम्मीद कर रहे हैं तो आज देश में आजाद और दूसरे नेताओं का नाम नहीं जानता।”