नई दिल्ली। देश में इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल को 49 साल पूरे हो गए हैं। 50वीं बरसी के मौके पर पीएम मोदी ने आपतकाल को याद करते हुए कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि उस पार्टी को संविधान प्रेम का दिखावा करने की जरूरत नहीं है जिसने कभी लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचलकर देश को जेल बना दिया था। बता दें कि 1975 में आपातकाल लगने के दौरान नरेंद्र मोदी आरएसएस के प्रचारक थे। आपातकाल के पहले से ही वह कांग्रेस सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे। वहीं पीएम मोदी ने खुद ही आपातकाल को ‘आपदा में अवसर’ का नाम दिया था। इस दौरान उन्होंने अंडरग्राउंड रहते हुए संचार की जिम्मेदारी संभाली थी और कई बड़े नेताओं के संपर्क में आ गए थे।
नवनिर्माण आंदोलन में बने छात्रों की आवाज
1974 में नवनिर्माण आंदोलन के दौरान नरेंद्र मोदी स्टूडेंट्स के साथ खड़े थे। उस समय वह आरएसएस के युवा प्रचारक थे। उन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में जिम्मेदारी दी गई थी। वह जबरदस्त भाषण दिया करते थे। एक बार उन्होंने ऐसी कविता पढ़ी जिससे छात्रों में जोश भर गया। वह कविता थी।
जब कर्तव्य ने पुकारा तो कदम कदम बढ़ गए
जब गूंज उठा नारा ‘भारत माँ की जय’
तब जीवन का मोह छोड़ प्राण पुष्प चढ़ गए
कदम कदम बढ़ गए।
टोलियाँ की टोलियाँ जब चल पड़ी यौवन की
तो चौखट चरमरा गये सिंहासन हिल गए
प्रजातंत्र के पहरेदार सारे भेदभाव तोड़
सारे अभिनिवेश छोड़, मंजिलों पर मिल गए
चुनौती की हर पंक्ति को सब एक साथ पढ़ गये
कदम कदम बढ़ गए।
आपातकाल के दौरान वेश बदलकर रहते थे मोदी
आपातकाल लगने के बाद देश के नेताओं की गिरफ्तारी शुरू हो गई। प्रेस की आजादी खत्म कर दी गई और पत्रकारों को भी जेल भेजा जाने लगा। आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। हालांकि आरएसएस अंडरग्राउंड होकर काम कर ररहा था। नरेंद्र मोदी को भी आरएसएस ने आंदलन, सम्मेलन, बैठकों और साहित्य वितरण कि जिम्मेदारी दी थी। वह नाथा लाल जागड़ा और वसंत गजेंद्र गाडकर के साथ काम कर रहे थे। उस समय कई आरएसएस नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था। इसलिए नरेंद्र मोदी ने अपना वेश बदल लिया था। उन्होंने सरदारों की तरह दाढ़ी बढ़ाई और पगड़ी बांधने लगे। लगभग 21 महीने वह इसी वेश में रहे।
आपातकाल के दौरान सूचना प्रसारण पर प्रतिबंध था। ऐसे में नरेंद्र मोदी संविधान, कानून और कांग्रेस सरकार के अत्याचार के बारे में जानकारी फैलाने का काम करते थे। इस दौरान वह जेल में बंद नेताओं तक भी जानकारी पहुंचाया करते थे। गुजरात जाने वाली ट्रेनों में वह चुपचाप किताबें और अन्य सामग्री रखवा दिया करते थे। इससे सुदूर इलाकों में संदेश भेजने में मदद मिलती थी। नरेंद्र मोदी उस दौरान लेख लिखते थे जिन्हें लोगों तक चुपचाप पहुंचाया जाता था।
उस दौरान गुपचुप तरीके से विदेश भी साहित्य भेजा जाता था और कहा जाता था कि वे वहां उसे पब्लिश कर सकें। ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में भी नरेंद्र मोदी कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे। गुजरात न्यूजलेटर और साधना पत्रिका में नरेंद्र मोदी आर्टिकल छपते थे। 1977 में जब आपातकाल हटा तब नरेंद्र मोदी की पहचान पूरे देश में थी। उसी साल उन्हें आपतकाल पर चर्चा के लिए मुंबई बुलाया गया। इसके लिए को 250 रुपये का भुगतान किया गया था।
जब आरएसएस नेता केशव राव देशमुख की गिरफ्तारी हो गई थी तब नरेंद्र मोदी ने ही लाल जागड़ा को स्कूटर से सुरक्षित जगह पहुंचाया था। उस दरान रेलवे बल को भी संदिग्ध लोगों को गोली मारने का आदेश दे दिया गया था। ऐसे में नरेंद्र मोदी जो काम कर रहे थे, वह जोखिम से भरा था। वह गुजरात से दूसरे राज्यों तक साहित्य पहुंचाने के लिए ट्रेन का ही इस्तेमाल करते थे।